मैसूर, 11 सितम्बर (एजेन्सी)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कावेरी नदी पर मेकेदातु जलाशय के निर्माण को मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाते हुए सोमवार को केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर निशाना साधा और पड़ोसी राज्य तमिलनाडु पर इस मुद्दे पर ‘अनावश्यक उपद्रव’ पैदा करने का आरोप लगाया।
कर्नाटक मेकेदातु परियोजना को लागू करने के लिए दबाव बना रहा है और उसका कहना है कि बारिश के संकट के समय दोनों राज्यों के बीच कावेरी जल विवाद का यही एकमात्र समाधान है।
उन्होंने कहा, ‘केंद्र की भाजपा सरकार ने मेकेदातु परियोजना के लिए अनुमति नहीं दी है। तमिलनाडु के पास परियोजना का विरोध करने का कोई कारण नहीं है। यह हमारे क्षेत्र में है, तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी जल आवंटित किया गया है और हमें सामान्य वर्षों में उन्हें इतना ही पानी छोड़ना पड़ता है। संकट के समय, मुश्किल वक्त के फार्मूले का पालन किया जाना चाहिए।’
यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने तमिलनाडु पर मेकेदातु परियोजना के संबंध में अनावश्यक रूप से उपद्रव पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि कर्नाटक द्वारा डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) प्रस्तुत करने के बावजूद अनुमति नहीं दी जा रही है।
उन्होंने कहा, ”उन्हें (केंद्र को) कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (अनुमति देने के लिए) से कहना होगा, क्योंकि यह भारत सरकार के अधीन आता है, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रदेश नेताओं ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि वे इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करेंगे लेकिन वे यहां आते हैं और राजनीति करते हैं।
मुख्यमंत्री तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का पानी छोड़ने को लेकर भाजपा द्वारा उनकी सरकार की आलोचना किए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। राज्य में नदी बेसिन क्षेत्र कम बारिश के कारण पानी की कमी के खतरे का सामना कर रहा है।
सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक खुशी से नहीं, बल्कि सीडब्ल्यूएमए के आदेश के कारण तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के किसानों के हितों और मैसूर, बेंगलुरु और कई अन्य जिलों की पेयजल जरूरतों की रक्षा करने के लिए कर्तव्यबद्ध है।
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