दार्जिलिंग । दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने बुधवार को संसद में दार्जिलिंग क्षेत्र के विभिन्न भागों में तीस्ता नदी के बाढ़ एवं भूस्खलन का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है।
संसद के नियम 377 के तहत उठाये गये इस मुद्दे के बारे में सांसद राजू बिष्ट ने कहा, मैंने दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न भागों में तीस्ता बाढ़ और भूस्खलन का मुद्दा उठाया है और केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह पीएमएनआरएफ के माध्यम से वित्तीय राहत व सहायता प्रदान करे। इसके साथ ही सरकार से पीएमएवाई के तहत प्रभावितों को घर आवंटित करने का भी आग्रह किया गया है।
सांसद बिष्ट ने कहा, मैंने संसद को सूचित किया कि दार्जिलिंग और कालिम्पोंग पश्चिम बंगाल के दो पर्वतीय जिले हैं, जो भूस्खलन से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। इस आपदा में रंगपो, मेली, तीस्ता बाजार, नाजोक, 29 माइल, गेल खोला, महानदी, सूम टी एस्टेट, बादामताम जैसी जगहों को भारी नुकसान हुआ है। भाजपा सांसद ने संसद में बताया कि इस आपदा में लोगों ने अपने घर, खेत, वाहन और अन्य संपत्ति और यहां तक कि अपनी आजीविका भी खो दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 55, निर्माणाधीन एनएच 717ए और एनएच 10 कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसके अलावा, कई ग्रामीण सड़कों को भी नुकसान हुआ है जिससे गांवों का संपर्क बाकी हिस्सों से कट गया है।
इसके अलावा, सांसद बिष्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दार्जिलिंग पहाड़, तराई और डुआर्स क्षेत्र की उपेक्षा पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, ये क्षेत्र राज्य को सबसे अधिक राजस्व देते हैं, लेकिन बदले में, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा यहां के नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है। इतनी तबाही के बावजूद भी पश्चिम बंगाल सरकार को इस क्षेत्र की परवाह नहीं है और वह भेदभाव करती है। ऐसे में, इस कठिन समय में इस क्षेत्र लोग अपने पुनर्वास राहत और वित्तीय सहायता हेतु केंद्र सरकार की ओर देख रहे हैं।
सांसद ने कहा, मुझे इन अनुरोधों पर सरकार की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया की पूरी उम्मीद है। प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया न होना अस्वाभाविक है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन के कारण पहले से ही पीड़ित लोगों के लिए संकट पैदा हो गया है। मैं तब तक अपनी आवाज़ उठाता रहूँगा, जब तक हमारे क्षेत्र के लोगों को उनका उचित समर्थन नहीं मिल जाता।
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