गेजिंग : पश्चिम सिक्किम के गेजिंग जिले के योक्सम-टाशीडिंग क्षेत्र में स्थित खेचीपेरी झील न केवल एक पवित्र धार्मिक स्थल है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक गंतव्य बनता जा रहा है। समुद्र तल से लगभग 1,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील अध्यात्म, प्रकृति और सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत संगम है। यहां हर साल देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन और शांति की खोज में पहुंचते हैं।
बौद्ध मान्यता के अनुसार, खेचीपेरी झील को इच्छा पूरी करने वाली झील कहा जाता है। इसे देवी तारा से जोड़ा जाता है और जनश्रुति है कि गुरु पद्मसंभव ने यहां तपस्या की थी। हिंदू श्रद्धालु भी इस झील को अत्यंत पवित्र मानते हैं और पूजा-अर्चना के लिए यहां आते हैं। धार्मिक पर्वों और मेलों के समय यहां विशेष पूजा की जाती है और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। झील के चारों ओर लगे प्रार्थना पताकाएं, स्तूप और धार्मिक झंडे वातावरण को और भी भक्तिमय बनाते हैं। गेजिंग मुख्यालय से लगभग 33 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। सड़कें अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित और सुलभ नहीं हैं, फिर भी श्रद्धालु और साहसी पर्यटक हर साल जोखिम उठाकर यहां आते हैं। संकरी और घुमावदार रास्तों से होते हुए जंगलों, झरनों और छोटे नालों को पार करते हुए इस झील तक की यात्रा एक रोमांचक और आत्मिक अनुभव प्रदान करती है।
खेचीपेरी झील की एक विशेष मान्यता यह भी है कि झील की सतह पर कोई पत्ता या कचरा टिकता नहीं। यदि कोई पत्ता गिर भी जाए तो हवा या पक्षी उसे तुरंत हटा देते हैं। यह झील की पवित्रता और स्थानीय लोगों की देखभाल का प्रमाण है। स्थानीय समुदाय न केवल धार्मिक अनुशासन का पालन करता है, बल्कि पर्यटकों और आगंतुकों का भी गर्मजोशी से स्वागत करता है। सरकार और स्थानीय संस्थाएं मिलकर इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास पर कार्य कर रही हैं। झील के आस-पास होमस्टे, पर्यटक सूचना केंद्र, ट्रेकिंग मार्ग, शौचालय और पक्के रास्ते बनाए जा रहे हैं। परिसर में मेला गुरु की प्रतिमा, ध्यान केंद्र, और फुटपाथ भी बन चुके हैं। हालांकि, सड़क सुधार, सार्वजनिक परिवहन और पर्यटक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर अभी और प्रयास की आवश्यकता है।
खेचीपेरी झील आज केवल एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर बन चुकी है। प्रकृति प्रेमी, ट्रेकिंग प्रेमी और आध्यात्मिक साधक, सभी के लिए यह स्थान विशेष आकर्षण का केंद्र है। यदि उचित योजनाओं और संरचनात्मक सुधारों के साथ इसका विकास किया जाए, तो यह झील सिक्किम की अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पहचान को और मजबूती से स्थापित कर सकती है।
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