सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने की उच्चस्तरीय समन्वय बैठक

गंगटोक : आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आज यहां एक स्थानीय होटल में राज्य भर के विभिन्न विभागों, केंद्रीय विभागों के नोडल अधिकारियों और हितधारकों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। राज्य राहत आयुक्त सह भूमि राजस्व व आपदा प्रबंधन सचिव मिंग्मा टेम्पा शेरपा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आपदाओं के दौरान बार-बार आने वाली चुनौतियों से निपटने और राज्य विभागों के साथ-साथ राज्य में कार्यरत केंद्रीय एजेंसियों की तैयारियों का आकलन करने के लिए खास कर आगामी मानसून के मौसम के मद्देनजर सहयोगी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

इस अवसर पर राज्य राहत आयुक्त मिंग्मा टेम्पा शेरपा ने आज की बैठक को केवल नियमित अभ्यास नहीं, बल्कि यह पुनर्मूल्यांकन बताते हुए कहा कि इसमें तय होगा कि आगामी मानसून के लिए हितधारक कितने तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भले ही हम प्रकृति को नियंत्रित करने में सक्षम न हों, लेकिन एसओपी के पालन, तत्परता सुनिश्चित कर और समन्वय बढ़ाकर अपनी तैयारी स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं, जो आपदाओं के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकता है।

शेरपा ने तेज विकास एवं पर्यटन के कारण बुनियादी ढांचे और प्राकृतिक प्रणालियों पर बढ़ते तनाव को उजागर करते हुए वहन क्षमता प्रबंधन और भूमि उपयोग योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। वहीं, वर्षा जल संचयन प्रणालियों जैसे कम उपयोग किए गए विभागीय संसाधनों का जिक्र करते हुए उन्होंने विभागों से आपातकालीन उपयोग के लिए अपनी संपत्तियों का मानचित्रण और अनुकूलन करने का आग्रह किया। उन्होंने सभी विभागों से अपने कार्यों का अलाइनमेंट करने, संसाधन-साझाकरण को बढ़ावा देने और सभी स्तरों पर आंतरिक संचार सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया।

साथ ही, राहत आयुक्त ने सामुदायिक लचीलापन बनाने हेतु धार्मिक और जमीनी स्तर के संगठनों के साथ अधिक जुड़ाव का आग्रह किया। उन्होंने एसओपी का पालन, आपदा दवाओं और स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन 112 का व्यापक प्रचार करने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए सार्वजनिक सतर्कता और भागीदारी महत्वपूर्ण घटक हैं। इसके अलावा, उन्होंने जोखिमों को कम करने और दीर्घकालिक लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए भूमि-उपयोग नियोजन नियमों और निर्माण मानदंडों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया।

इससे पहले, बैठक की शुरुआत एसएसडीएमए की अतिरिक्त सचिव परिना गुरुंग के स्वागत भाषण के साथ हुई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विभागीय और संगठनात्मक दोनों स्तरों पर योगदान राज्य की आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया ढांचे की नींव बनाते हैं। उन्होंने एक एकीकृत, समन्वित और समयबद्ध दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित किया। इसके बाद एसएसडीएमए के अतिरिक्त निदेशक राजीव रोका ने मानसून तैयारियों पर सत्र आयोजित किया, जिसमें विभिन्न विभागों और एजेंसियों ने आगामी मानसून सीजन के लिए अपनी विशिष्ट योजनाओं और रणनीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए विस्तृत विचार-विमर्श किया। प्रस्तुति करने वाले विभागों और एजेंसियों में दूरसंचार, सिक्किम पुलिस, शिक्षा, ग्रामीण विकास, पीएचई, भारत मौसम विज्ञान, रिमोट सेंसिंग महानिदेशालय, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं कई अन्य विभाग शामिल रहे।

प्रत्येक विभाग ने मानसून से संबंधित जोखिमों को कम करने के लिए अपनी तैयारियों और रणनीतियों का विवरण दिया। अध्यक्ष ने अंतर-विभागीय समन्वय के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया और सभी हितधारकों से मानसून के मौसम के दौरान और आपदा के समय प्रभावी और समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।

वहीं, इस दौरान एसएसडीएमए निदेशक प्रभाकर राई ने बताया कि 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आवश्यक यह बैठक आपात स्थितियों के लिए विभाग की तैयारी की निगरानी और सुधार के लिए आयोजित की जाती है। उन्होंने आपदाओं के दौरान संचार प्रणालियों के टूटने की समस्या पर जोर देते हुए कहा कि संकट के दौरान, सभी हितधारकों को आपदा प्रबंधकों के रूप में कार्य करना चाहिए, तथा आपात स्थितियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एकीकृत और एकजुट दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने राहत केंद्रों के रूप में स्कूलों के उपयोग पर प्रकाश डालते हुए ये केंद्र आपात स्थितियों के दौरान पूरी तरह सक्रिय रहें। उन्होंने सामुदायिक स्वयंसेवकों (आपदा मित्र) की भूमिका को भी रेखांकित किया।

इसके अलावा राई ने आपदा के दौरान अन्य विभागों के महत्व को भी उजागर करते हुए उन्होंने सभी नोडल अधिकारियों से अपने संबंधित अधिकारियों के साथ निरंतर समन्वय में रहने और राज्य को आपदा-प्रतिरोधी बनाने और आगामी मानसून के लिए तैयार करने के लिए तालमेल से काम करने का अनुरोध किया।

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