सिक्किम को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड ने अपने उत्पादों का किया बचाव

लोगों से उत्पादों को खरीदते समय निर्माण की तिथि और एक्सपायरी डेट देखने का किया आग्रह

गंगटोक : सिक्किम में सार्वजनिक क्षेत्र की सिक्किम को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड का फटा हुआ दूध दिखाने वाला एक वीडियो वायरल होने के बाद इसके उत्पादित दूध की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गये हैं। लोगों में इसे लेकर व्यापक चिंता और भ्रम की स्थिति है। बताया गया है कि विमगर व्लॉग नामक एक सोशल मीडिया अकाउंट द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में सिक्किम मिल्क का एक पैकेट दूध फटते हुए दिखायी दे रहा है, जिसे कुछ लोगों ने दूध के दूषित होने या प्लास्टिक जैसा पदार्थ बताया है।

बहरहाल, इस घटना के बाद अपनी सफाई में सिक्किम मिल्क यूनियन ने एक विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया है। यूनियन ने पुष्टि की है कि 15 अप्रैल, 2025 को पैक किया गया दूध वास्तव में उनका ही एक उत्पाद है। हालांकि, कंपनी ने स्पष्ट किया कि वीडियो में दिखाए जाने तक दूध की “उपयोग की तिथि” गुजर चुकी थी, जिसके कारण दूध फट गया।

यूनियन के अनुसार, एक बार जब दूध अपनी “उपयोग की तिथि” पार कर जाता है, तो पैश्टराइज्ड होने के बावजूद बैक्टीरिया के कारण से उसके खराब होने की अधिक संभावना रहती है। अपने स्पष्टीकरण में यूनियन ने आगे विस्तार से बताया कि खरीद से पहले और बाद में अनुचित भंडारण की स्थिति में दूध के जल्दी खराब होने की संभावना बनी रहती है, जो दूध के फटने की प्रक्रिया को तेज कर देती है। ऐसे में, यूनियन ने ग्राहकों से समाप्ति तिथि पर ध्यान देने और इसी तरह की घटनाओं से बचने के लिए उचित भंडारण सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

सिक्किम मिल्क यूनियन के संयुक्त महाप्रबंधक डॉ प्रधान ने कहा, हम अपने उपभोक्ताओं द्वारा उठाई गई चिंताओं को पूरी तरह से समझते हैं और इस स्थिति के बारे में पारदर्शी जानकारी प्रदान करने की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। हम सभी को आश्वस्त करना चाहते हैं कि वीडियो में दिखाया गया दूध असुरक्षित नहीं था, बल्कि ‘उपयोग की तिथि’ पार करने का परिणाम था, जो खराब होने की प्रक्रिया का एक स्वाभाविक हिस्सा है।

यूनियन ने आगे कहा कि दूध का फटना या दूध में गांठों का दिखना अक्सर गलत समझा जाता है, जिससे कई उपभोक्ता यह मान लेते हैं कि दूध दूषित है। हालांकि, विशेषज्ञ बताते हैं कि यह फटना दूध के खराब होने से जुड़ी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, खासकर जब इसकी समाप्ति तिथि बीत चुकी हो। यूनियन के अनुसार, जब दूध को गलत तापमान पर संग्रहित किया जाता है, खासकर गर्म परिस्थितियों में, तो यह बैक्टीरिया के विकास और एंजाइमेटिक प्रतिक्रियाओं को तेज करता है, जिसके परिणामस्वरूप तेजी से खराब होता है। यह समाप्ति तिथि से पहले भी हो सकता है यदि परिवहन के दौरान या खुदरा दुकानों पर दूध अनुचित भंडारण स्थितियों के संपर्क में आता है।

वीडियो का एक और पहलू जिसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया वह था फटे हुए दूध में “प्लास्टिक जैसी” सामग्री का दिखना। इससे कुछ लोगों ने अनुमान लगाया कि दूध में प्लास्टिक मिला हुआ हो सकता है। हालांकि, वैज्ञानिक विश्लेषण इन गांठों के लिए वैकल्पिक स्पष्टीकरण प्रदान करता है जो रबर या “प्लास्टिक जैसी” लग सकती हैं। इसके अलावा, सिक्किम मिल्क यूनियन ने यह भी स्पष्ट किया है कि दूध का फटना एक्सपायर होने के कारण हुआ था। इस पर, कंपनी ने ग्राहकों को हमेशा ताजा, सुरक्षित दूध मिलना सुनिश्चित करने के लिए उपयोगी सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “निर्माण तिथि” और “उपयोग की तिथि” की जांच करना यह सुनिश्चित करने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है कि दूध खराब होने से पहले ही उसका सेवन कर लिया जाए।

यूनियन ने उपभोक्ताओं को ऐसे कई सरल चरणों का पालन करने की सलाह दी है जिससे उन्हें सही दूध प्राप्त हो सके। इन सुझावों में तारीखों की जांच, दूध का सही तरीके से भंडारण, समाप्ति तिथि से पहले सेवन, सावधानीपूर्वक रखरखाव करना आदि शामिल हैं। इसके साथ ही सिक्किम मिल्क यूनियन ने लोगों को आश्वस्त किया कि उसके उत्पाद गुणवत्ता और सुरक्षा के उच्च मानकों को पूरा करते हैं और वीडियो में दिखाई देने वाला थक्का केवल एक्सपायर हो चुके दूध का परिणाम था। वहीं, यूनियन ने इस मुद्दे पर चिंता या सवाल करने वाले किसी भी उपभोक्ता को आगे स्पष्टीकरण के लिए संपर्क करने को कहा है। यूनियन के अनुसार, वे सिक्किम और उसके बाहर के लोगों को सुरक्षित, ताजा डेयरी उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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