दार्जिलिंग : अदालत ने 24 वर्षीय मोहम्मद हासिम को 40 साल की जेल की सजा सुनाई। सरकारी अधिवक्ता प्रणय राई और रिवाज राई ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि स्थानीय अदालत ने दार्जिलिंग के तुंगसुंग निवासी 24 वर्षीय मोहम्मद हासिम को एक विकलांग नाबालिग के खिलाफ जघन्य कृत्य करने का दोषी पाते हुए 40 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
उन्होंने बताया कि दिव्यांग नाबालिग दार्जिलिंग के एक स्कूल में पढ़ रही थी। नाबालिग स्थिति का फायदा उठाकर मोहम्मद हासिम लंबे समय से उसके निजी अंगों और अन्य स्थानों को छू रहा था। कभी-कभी तो वह बलात्कार जैसी वारदातें भी कर देता था। अचानक एक दिन नाबालिग बच्ची की मां ने उसके गुप्तांग पर नीले निशान देखे और उससे पिछले कई दिनों से उसके साथ हो रही घटनाओं के बारे में पूछा।
सरकारी अधिवक्ता प्रणय राई ने बताया कि जानकारी के बावजूद जब पीड़ित बच्ची के परिजनों द्वारा जब इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई तो मुहम्मद हाशिम की घिनौनी हरकतें बढ़ती चली गईं। इसी तरह एक दिन मोहम्मद हासिम ने जबरदस्ती अपने गुप्तांग बच्ची के मुंह में डालने की कोशिश की तो बच्ची बेचैन हो गई। इसके बाद परिजनों की ओर से आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई।
जुलाई 2024 में पुलिस ने मोहम्मद हासिम को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस द्वारा मोहम्मद हासिम के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने के बाद मामले की सुनवाई चल रही थी। बच्ची के खिलाफ हुई घटना की जांच डॉ टीडी भूटिया और डॉ निकिता रंजन द्वारा की गई। सरकारी वकील राई ने बताया कि ये दोनों डॉक्टर फिलहाल जिला अस्पताल में कार्यरत हैं। इसी प्रकार मामले की जांच पुलिस अधिकारी श्रीमती छुंगू भूटिया द्वारा की गई।
सरकारी वकील राई ने संवाददाताओं को बताया कि दोहरी सजा के मामले में दोषी व्यक्ति को दो बार सजा दी जाती है, इसलिए दोषी व्यक्ति मोहम्मद हासिम को 40 साल जेल की सजा सुनाई गई है। इसी प्रकार, सरकारी वकील रिवाज राई ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि पुलिस की मदद और डॉक्टरों की मदद से हम दोषी व्यक्ति को सजा दिलाने में सफल हुए हैं। पीड़ित परिवार ने इस बात पर खुशी जताई है कि दोषी मोहम्मद हासिम को सजा मिल गई है।
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