जीएलओएफ के बाद राज्य सरकार ने निगरानी तंत्र का किया सक्रिय : प्रभाकर राई

गंगटोक : हिमालयी राज्य सिक्किम में दो साल पहले आए विनाशकारी ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) के बाद राज्य सरकार ने भविष्य में ऐसी आपदा जोखिमों को कम करने के लिए अपने ग्लेशियर और झील निगरानी तंत्र को काफी तेज कर दिया है। इसके तहत, राज्य के अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर स्थित ऐसे 16 अधिक जोखिम वाले झीलों की निगरानी पर जोर दिया जा रहा है।

आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य के भूमि राजस्व एवं आपदा प्रबंधन निदेशक प्रभाकर राई ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय समर्थन द्वारा समर्थित राज्य की जारी पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने पुष्टि की कि सिक्किम सरकार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और वैश्विक भागीदारों के तकनीकी सहयोग से अधिक जोखिम वाली श्रेणी की 16 ग्लेशियल झीलों की व्यवस्थित रूप से निगरानी कर रहा है। दुर्गम इलाके और अन्य बाधाओं के कारण इनमें से 9 झीलों तक गहन अध्ययन के लिए पहुंचा जा सका है।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, सरकार द्वारा प्राथमिकता के आधार पर दक्षिण ल्होनक और साखोचू झीलों को अत्याधुनिक स्वचालित मौसम स्टेशनों से लैस किया गया है। ये स्टेशन तापमान में बदलाव, जलस्तर और ताजा तस्वीरों का रियल टाइम डेटा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और स्विट्जरलैंड सहित अंतरराष्ट्रीय निगरानी केंद्रों को भेजते हैं। उसके बाद, डेटा को जीआईएस-आधारित प्लेटफार्मों में डाला जाता है जो विसंगतियों का पता लगाने में सक्षम हैं और आसन्न झील के टूटने या बाढ़ का संकेत दे सकते हैं।

इस संबंध में राई ने कहा, यदि झीलों में असामान्य परिवर्तन देखे जाते हैं तो स्वचालित सिस्टम तत्काल अलर्ट प्रदान करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि हम समय पर चेतावनी और निकासी को सक्रिय कर सकें। उन्होंने क्षेत्र में आपदा प्रतिक्रिया तैयारियों के लिए सेना संपर्क अधिकारी और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय के महत्व पर जोर दिया।

गौरतलब है कि पिछले साल की आपदा से मिले सबक के बाद सिक्किम ने अपने प्रारंभिक चेतावनी बुनियादी ढांचे को उन्नत किया है। संवेदनशील नदी किनारे के समुदायों को अब तेजी से निकासी की सुविधा और घबराहट को कम करने के लिए सायरन और लाउडस्पीकर का उपयोग करने वाली एक सक्रिय सार्वजनिक चेतावनी प्रणाली द्वारा कवर किया गया है। इसके वित्तीय पहलू पर राई ने जनता को आश्वस्त किया कि राज्य के पास इन निगरानी प्रयासों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं और यदि अतिरिक्त सहायता आवश्यक हो जाती है तो वह केंद्र सरकार के धन का उपयोग करने के लिए तैयार है।

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