देहरादून , 07 फरवरी । मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा पेश किया गया समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक बुधवार को सदन में पारित हो गया।
विधानसभा में यूसीसी बिल पास होने के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित होने से पहले बिल पर बोलते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा था, वह जमीन पर उतरकर हकीकत बनने जा रहा है। हम इतिहास रचने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों को भी उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। धामी ने कानून से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं को सदन के सामने रखा। उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य तुष्टीकरण नहीं बल्कि समाज में समानता लाना है। धामी ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हमने उत्तराखंड की जनता के सामने प्रस्ताव रखा था कि हम यूसीसी कानून बनाएंगे और उसके लिए एक ड्राफ्ट कमेटी बनाएंगे। उत्तराखंड में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक समान कानून होना चाहिए।
समान नागरिक संहिता के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बोलते हुए धामी ने कहा कि नए कानून के लागू होने के बाद पति या पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूर्णतः प्रतिबंधित होगा। जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की तरह विवाह और विवाह विच्छेद का पंजीकरण कराया जा सकेगा। ये पंजीकरण वेब पोर्टल के माध्यम से किया जा सकेगा। कोई पहला विवाह छिपाकर दूसरा विवाह करेगा तो पंजीकरण के जरिए इसका पता लग जाएगा। इससे माताओं और बहनों में सुरक्षा का भाव आएगा। धामी ने साफ किया कि अगर विवाह का पंजीकरण नहीं किया जा सका है तो ऐसी स्थिति में भी विवाह अमान्य नहीं माना जाएगा। पति-पति के विवाह विच्छेद या घरेलू झगड़े के समय में 5 साल तक के बच्चे की कस्टडी मां के पास होगी।
शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य
– विधेयक में 26 मार्च वर्ष 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
– ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण का प्रावधान।
– पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड का प्रावधान।
– पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
– विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष तय की गई है।
– महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
– हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया गया है। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
– कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
– एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
– पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
धामी ने कहा कि नए कानून में जायज या नाजायज बच्चे में कोई भेद नहीं होगा। बच्चे नाजायज नहीं होते, वह पूरी तरह निर्दोष होते हैं इसलिए नाजायज शब्द को खत्म किया गया है। दोनों ही तरह के बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। धामी ने कहा कि यूसीसी में लिव-इन संबंधों को भी परिभाषित किया गया है। वयस्क पुरुष 21 वर्ष का, 18 साल की महिला लिव इन में रह सकती है। इसके लिए उन्हें पंजीकरण कराना होगा। इससे विवाह से संबंधित अपराध को रोका जा सकेगा।
संपत्ति में बराबरी का अधिकार
– संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
– जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
– नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
– गोद लिए, सरगोसी के द्वारा असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
– किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
– कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना अनिवार्य
– लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
– युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
– लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
– लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
– अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।
सीएम ने कहा कि ऐसे सभी प्रावधान जो भी हमारी सब पीढ़ियों के लिए अच्छे हो सकते हैं, उसको यूसीसी में दिया गया है। इस तरह संहिता के जो प्रमुख बिंदु हैं, जिन पर चर्चा की है, मैं ये कह सकता हूं कि हमारे शास्त्रों में जो वर्णित है, यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता- ये उक्ति चरितार्थ होती है। साथ ही पीएम के नारी शक्ति वंदन का संकल्प भी चरितार्थ होता है। धामी ने कहा कि जैसे ही यह ऐक्ट के रूप में लागू होगा, किसी भी प्रकार की समस्या न हो, इसके लिए पहले से ही व्यवस्था बना ली गई है। आगे जहां-जहां सुधार की जरूरत होगी, हम संशोधन की तरफ आगे बढ़ेंगे। उधर बुधवार को उत्तराखंड विधानसभा में विपक्षी दल के नेता की ओर से यूसीसी बिल को प्रवर समिति को भेजे जाने का प्रस्ताव ध्वनि मत से रद्द कर दिया गया। वहीं बिल के प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से स्वीकृत कर लिया। (एजेन्सी)
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