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पदम गुरुंग मृत्‍यु मामला : जांच समिति की रिपोर्ट संदिग्‍ध : अल्‍बर्ट गुरुंग

गंगटोक, 03 नवम्बर । Namchi Government College के एसआरसी अध्यक्ष पदम गुरुंग की मृत्यु के मामले की जांच कर रही एक सदस्यीय एनके जैन समिति द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट पर सवाल उठने लगे हैं। कल ही यहां राज्य मुख्य सचिव वीबी पाठक ने पत्रकारों के समक्ष यह रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए इस घटना को दुर्घटना करार दिया था। ऐसे में सिटीजन एक्शन पार्टी सिक्किम ने इस रिपोर्ट पर निराशा एवं असंतुष्टि जाहिर करते हुए कई प्रश्न खड़े किए हैं। साथ ही पार्टी ने राज्य सरकार से इस मामले को उच्च न्यायालय में ले जाने का आग्रह किया है।

सिटीजन एक्शन पार्टी (CAP) सिक्किम के प्रवक्ता अल्बर्ट गुरुंग ने एक विज्ञप्ति में कहा कि सरकारी जांच समिति की रिपोर्ट में पदम गुरुंग की मृत्यु का कारण जो आकस्मिक और पानी में डूबने को बताया गया है, वह गंभीर संदेहजनक और कई अनसुलझे मुद्दे छोड़ने वाला है। शुरुआत से ही इस मामले से निपटने में सरकार के न्याय देने के दृष्टिकोण में कमी के साथ कई कमियां सामने आईं हैं। ऐसे में पार्टी राज्य के एक युवा और ऊर्जावान छात्र नेता के दुर्भाग्यपूर्ण निधन की सच्चाई पर प्रकाश डालने का आग्रह करती है।

मामले में कई सवाल खड़े करते हुए गुरुंग ने कहा कि रिपोर्ट में डूबने से मौत का निष्कर्ष विरोधाभास दर्शाने वाला है, क्योंकि पदम गुरुंग जैसे युवा महज डेढ़ फुट के नाले में कैसे बह या डूब सकते हैं? क्या इसके समर्थन में पर्याप्त स्पष्टीकरण या फोरेंसिक सबूत उपलब्ध है? साथ ही अपने दोस्तों की उपस्थिति में पदम गुरुंग किन परिस्थितियों में नाले में गिर गए और उनके दोस्तों ने उन्हें बचाने के क्या प्रयास किए। इसके अलावा, मामले की सूचना सबसे पहले पुलिस को कब दी गई और जांच में इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर क्यों नहीं दिया गया?

उन्होंने कहा, कुछ दिन पहले ही पदम गुरुंग का नामची कॉलेज में छात्रों के साथ विवाद हुआ था, जिसके मद्देनजर उनकी मृत्यु का समय भी संदिग्ध लगता है। ऐसे में क्या विवाद में शामिल उन छात्रों से बयान लिए गए हैं? इसके अलावा, एसआरसी के कॉलेज फंक्शन से संबंधित आर्थिक मुद्दे भी इस घटना में महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। जबकि रिपोर्ट में इन पहलुओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया है। इससे क्या उन व्यक्तियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है जिन्होंने धन वितरित किया है और अब राज्य में सार्वजनिक अशांति का स्रोत बन गए हैं?

सीएपी प्रवक्ता ने आगे कहा कि नामची को चौबीसों घंटे सीसीटीवी निगरानी समेत बुनियादी ढांचे में भारी सरकारी निवेश के साथ एक स्मार्ट सिटी माना जाता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि मामले की जांच में घटना वाली रात के सीसीटीवी फुटेज से कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है। रिपोर्ट में वीडियो साक्ष्य की अनुपस्थिति सिक्किम की जनता के बीच संदेह और निराशा पैदा करती है। वहीं, मामले को लेकर दो पुलिस अधिकारियों के निलंबन और नामची के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी करने को लेकर गुरुंग ने कहा कि यह राज्य में कानून-व्यवस्था की विफलता और ऐसे मामलों को स्वतंत्र रूप से संभालने में राज्य पुलिस की अपर्याप्तता को उजागर करता है। साथ ही पुलिस अधिकारियों पर की गई कार्रवाई से यह साफ है कि एक सदस्यीय जांच समिति उचित निष्कर्ष पर पहुंचने में अपर्याप्त थी।

इसके अतिरिक्त गुरुंग ने पदम गुरुंग के परिवार को अनुग्रह मुआवजा देने के निर्णय पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि क्या सरकार आम तौर पर अन्य आकस्मिक मौतों के लिए ऐसा मुआवजा प्रदान करती है? उन्होंने यह भी पूछा कि मानक संचालन प्रक्रियाओं से हटकर जांच में कौन सी अनियमितताएं हुईं हैं इनका खुलासा जनता के सामने क्यों नहीं किया गया? ऐसे में उन्होंने एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट जारी होने के बावजूद मौजूद शंकाओं को ध्यान में रखते हुए पार्टी की ओर से सरकार से इस मामले को उच्च न्यायालय में ले जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, आयोग के निष्कर्ष कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं और उच्च न्यायालय ही यह सुनिश्चित करेगा कि सभी प्रासंगिक तथ्य सार्वजनिक किए जाएं और अंतिम फैसला कानूनी रूप से बाध्यकारी हो जाए। प्रशासन में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए यह महत्वपूर्ण है।

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