गंगटोक । सिक्किम अकादमी, गंगटोक ने गुरुवार को सर ताशी नामग्याल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सभा कक्ष में 8वें पदमसिंह सुब्बा “अपतन” व्याख्यानमाला 2024 कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, संस्कृति मंत्री जीटी ढुंगेल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। पद्मश्री सानू लामा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जबकि सिक्किम सरकार के पूर्व प्रेस सलाहकार और प्रवक्ता सीपी भट्टाराई विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मंत्री जीटी ढुंगेल ने कहा कि साहित्यकारों को हमेशा मार्गदर्शक बनकर समाज और भावी पीढ़ी को सही रास्ता दिखाना चाहिए। उन्होंने साहित्यिक कृति सृजन को एक महत्वपूर्ण विषय बताते हुए कहा कि किसी पुस्तक के प्रकाशन का कार्य अनुभव करके ही पूर्ण किया जा सकता है। मंत्री ढुंगेल ने विचार व्यक्त किया कि लेखक समाज का दृष्टा बन सकते हैं। उन्होंने बच्चों, किशोरों और युवाओं पर मोबाइल और अन्य डिजिटल उपकरणों के नकारात्मक प्रभाव की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि रचनाकारों को गहराई से सोचना चाहिए और संस्कृति व परंपरा को बचाने की दिशा में कलम चलाकर अग्रणी बनना चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि भावी पीढ़ी की रक्षा के लिए और सिक्किम में संतानों के अस्तित्व को सदैव बनाए रखने के लिए रचनाकार समाज को प्रजनन दर बढ़ाने के लिए जागरूक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे साहित्यिक कार्यक्रमों में विद्यार्थियों एवं किशोरों को भाग लेना आवश्यक है। मंत्री ने आह्वान किया कि हम जीवन में समय को मूल्यवान समझें और इसका सदुपयोग करें, क्योंकि समय और लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं। उन्होंने अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त किया कि वह शब्दों के बजाय कर्मों में विश्वास करते हैं और वास्तविकता और व्यावहारिकता में काम कर रहे हैं।
सभाध्यक्ष पद्मश्री सानू लामा ने कार्यक्रम के आयोजन में सिक्किम अकादमी के प्रयासों की सराहना की और व्याख्यान का कार्यक्रम जारी रखने का अनुरोध किया। अपतन साहित्यिक संस्था के स्थापना काल के माहौल की याद दिलाते हुए उन्होंने स्वर्गीय पदम सिंह सुब्बा के व्यक्तित्व और पढ़ाई के दौरान श्री सुब्बा से नेपाली व्याकरण सीखने के अपने अनुभव को साझा किया। सानू लामा ने कहा कि वह नेपाली साहित्य जगत में उनके योगदान के लिए लेखक पदम सिंह सुब्बा को कुछ श्रेय देना चाहेंगे। सानू लामा ने कि लोगों को साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि साहित्यिक कार्यक्रमों के प्रति लोगों की भीड़ से अधिक सम्मान और श्रद्धा होती है।
व्याख्याता श्रीमती अनिता निरौला ने अदृश्य कलम से साहित्य लेखन : संभावित चुनौतियां विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अदृश्य कलम के विभिन्न आयामों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं का विस्तार से विश्लेषण किया। उन्होंने व्याख्यान में कहा कि रचनाएं प्रकाशित करते समय अदृश्य लेखन के रचनाकारों की पहचान भी साझा की जानी चाहिए। आशंका जताते हुए भी सवाल उठाया गया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल से भविष्य में साहित्य जगत में रचनात्मकता खत्म हो सकती है। अतिथियों ने कहा कि पुस्तक प्रकाशन मात्रात्मक के बजाय गुणात्मक होना चाहिए और लेखकों को समाज का दर्पण नहीं बल्कि मार्गदर्शक होना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मंत्री जीटी ढुंगेल, अनिता निलौला एवं सभापति पद्मश्री सानू लामा को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न भेंट किये गए। अपने स्वागत भाषण में सिक्किम अकादमी के अध्यक्ष एसआर सुब्बा ने बताया कि अपतन साहित्य के संरक्षण के लिए गठित पहला साहित्यिक संगठन है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि पदमसिंह सुब्बा द्वारा नेपाली साहित्य के संरक्षण के लिए की गई दीर्घकालिक सेवा का सम्मान करते हुए सिक्किम अकादमी ने कुछ साल पहले इस विशेष कार्यक्रम का पालन शुरू किया है।
साहित्यिक कार्यक्रम के बीच-बीच में सांस्कृतिक नृत्य और संगीत प्रस्तुत की गईं। मुख्य अतिथि, अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथियों एवं व्याख्याताओं के स्वागत के पश्चात द्वीप प्रज्ज्वलन व बांसुरी वादन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पदमसिंह सुब्बा को श्रद्धांजलि देकर की गई। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार, पदम सिंह सुब्बा के परिवार के सदस्य, साहित्यिक संगठनों के प्रतिनिधि, लेखक, कवि, मीडियाकर्मी और अन्य लोग उपस्थित थे।
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