गंगटोक : सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) ने 14 अप्रैल को समानता और न्याय की दिशा में भारत की यात्रा का मार्गदर्शन करने के लिए डॉ बीआर अंबेडकर की शिक्षाओं और दृष्टि की सराहना की। अंबेडकर जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री ने सिक्किम और देश के बाकी लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर की जयंती सिर्फ एक उत्सव नहीं है, बल्कि समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल्यों पर चिंतन करने का भी अवसर है, जिसके लिए वे हमेशा खड़े रहे। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर एक महान विधिवेत्ता, समाज सुधारक और भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे, जिनके योगदान ने आधुनिक भारतीय राष्ट्र को आकार दिया है। अपने संदेश में मुख्यमंत्री गोले ने कहा कि डॉ अंबेडकर ने ऐसे समाज के लिए काम किया, जहां किसी को उसकी जाति या पृष्ठभूमि के आधार पर नहीं आंका जाता। उनका जीवन हमें शिक्षा, न्याय और सभी के लिए समान अधिकारों के महत्व की याद दिलाता है।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉ अंबेडकर लैंगिक समानता और सभी के लिए शिक्षा के प्रबल समर्थक थे, विशेषकर हाशिए पर पड़े और वंचित समुदायों के लिए। 1923 में डॉ अंबेडकर ने समाज के उत्पीड़ित वर्गों के लिए शिक्षा और सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए बहिष्कृत हितकारिणी सभा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि यह कदम समावेशी विकास और न्याय के प्रति डॉ. अंबेडकर की गहरी चिंता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री गोले ने यह भी बताया कि राष्ट्र के प्रति उनकी उल्लेखनीय सेवा के सम्मान में डॉ अंबेडकर को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वर्ष 2021 में भारत सरकार ने दलितों के अधिकारों के लिए उनकी विरासत और आजीवन संघर्ष को सम्मान देने के लिए 14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया। सीएम गोले ने सभी से डॉ अंबेडकर के जीवन से प्रेरणा लेने और एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए काम करने का आग्रह किया जो निष्पक्ष, समावेशी और भेदभाव से मुक्त हो।उन्होंने कहा कि आइये हम संविधान के मूल्यों को बनाए रखने के लिए मिलकर काम करें और एकता एवं समझ के साथ आगे बढ़ें।
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