sidebar advertisement

सहकारी क्षेत्र में नई जान फूँकेंगे PACS

श्री शाजी के वी
अध्यक्ष, नाबार्ड
दुनिया भर में ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष – 2025’ के स्वागत की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारत का सहकारिता क्षेत्र मजबूत स्थिति में है और देशभर में नई, मजबूत और तेजी से उभरती हुई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS)का प्रसार हो रहा है। आर्थिक और प्रशासनिक सुधारों से लैस ये PACS अब ग्रामीण और कृषि प्रधान भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

यद्यपि भारत में सहकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन कुप्रबंधन, संकट के समय पर्याप्त सरकारी समर्थन की कमी और आवश्यक सुधारों की अनुपस्थिति के कारण इसके विकास में रुकावट आई है। हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने दूसरे कार्यकाल में सहकारिता मंत्रालय का गठन करने और अपने भरोसेमंद सहयोगी अमित शाह को इसकी कमान सौंपने के तुरंत बाद सहकारिता क्षेत्र में बदलाव की बयार बहने लगी।

गुजरात में सहकारिता आंदोलन को नया आकार देने वाले सुधारों के प्रणेता के रूप में विख्यात सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद राष्ट्रीय सहकारिता परिदृश्य में बड़े पैमाने पर सुधार किए, जिससे दुनिया इस क्षेत्र की ओर उम्मीद से देखने लगी। सहकारिता की क्षमता को अब देश के भविष्य को आकार देने वाले क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है। वित्त मंत्रालय के साथ हुए बजट परामर्श मेंभारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) ने प्रमुख क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करने की क्षमता को बढाने के लिएसहकारी समितियों के व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाने की सिफारिश की।

सहकारिता क्षेत्र के पुराने जानकार अमित शाहसहकारिता क्षेत्र के विकास में बाधा डालने वाली वजहों से अच्छी तरह परिचित हैं। इन बाधाओं में PACSके विविधीकरण की कमी थी, जिसने उन्हें लगभग अव्यवहार्य बना दिया।।श्री शाह ने PACS के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया, वह उनके बायलॉज यानी उप-नियमों में बदलाव लाना था। PACS की समस्याओं से छुटकारे के लिए मॉडल बायलॉज लाकर उन्हें बहुउद्देश्यीय बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इससे उन्हें अपने व्यवसाय को 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़ कर विविधता लाने में मदद मिली है। अब वे कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के रूप में काम कर रहे हैं, जो ग्रामीण भारत में 300 से अधिक ई-सेवाएं, जैसे – बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/अपडेशन, स्वास्थ्य सेवाएं, PAN कार्ड और IRCTC/बस/हवाई टिकट आदिसेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। अब तक 35,000 से अधिक PACS ने ग्रामीण नागरिकों को CSC सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है। साथ ही, अब उन्हें प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PMKSK), जल समितियों, LPG वितरकों, खुदरा पेट्रोल/डीजल दुकानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPO) आदि के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाया जा रहा है। PACS अब गांवों में सस्ती दरों पर गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं के वितरण के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (PMBJAK) के रूप में भी काम कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण आबादी के लिए सस्ती दवाएं उपलब्ध कराते हुए आय का एक और स्रोत पैदा हो रहा है। ये सभी प्रयास PACS की आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए किए जा रहे हैं।

सहकारिता मंत्रालय का अगला महत्वपूर्ण कार्य इस क्षेत्र में लोगों का विश्वास जीतना था, जो दशकों से कुप्रबंधन से ग्रस्त था। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 63,000 PACS का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। अब तक 23 हजार से अधिक PACS को एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ERP) सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत किया जा चुका है। PACS के कम्प्यूटरीकरण से उन्हें सीधे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) से जोड़ा जा सकेगा। कॉमन अकाउंटिंग सिस्टम (CAS) और मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (MIS) से संचालन में एकरूपता आएगी। इससे PACS संचालन में जनता का विश्वास बढ़ेगा।

सहकारिता क्षेत्र में हुई अनूठी पहलों से यह क्षेत्र अब नए आत्मविश्वास के साथपूरे देश में संगठित रूप में काम कर रहा है, जो इसके लिए बहुत फायदेमंद है। सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों से जिला सहकारी बैंकों में बैंक खाते खोलने का आह्वान किया है ताकि उन्हें व्यवहार्य बनाया जा सके। उनके अनुसार, सहकारी समितियों के बीच सहयोग (Cooperationamongst Cooperatives) एक मजबूत आर्थिक सिद्धांत है जो मजबूत सहकारी क्षेत्र के निर्माण के लिए ज़रूरी है। साल 2024 में सहकारिता मंत्रालय का दूसरी बार कार्यभार संभालते हुए अमित शाह ने जमीनी स्तर पर नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करके इस क्षेत्र को मजबूत करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा था कि उनके पिछले कार्यकाल मेंनीतिगत ढांचा बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था और वर्तमान कार्यकाल में उनकी प्राथमिकता इन नीतियों को जमीनी स्तर तक ले जाने की होगी।

सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई सबसे महत्वपूर्ण पहल में से एक सहकारी क्षेत्र में ‘विश्व का सबसे बड़ा विकेंद्रीकृत अनाज भंडारण कार्यक्रम’ है। इस योजना का उद्देश्य PACS स्तर पर अनाज भंडारण के लिए विकेंद्रीकृत गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयाँ और अन्य कृषि अवसंरचनाएँ बनाना है। कृषि अवसंरचना कोष (AIF), कृषि विपणन अवसंरचना (AMI), कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (SMAM), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण (PMFME) आदि सरकार की विभिन्न योजनाओं को मिलाकर इस योजना का उद्देश्य देश के लिए एक विशाल भंडारण क्षमता का निर्माण करना है।इससे खाद्यान्न की बर्बादी और परिवहन लागत में कमी आएगी, किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम मिलेंगे और विभिन्न कृषि जरूरतों को PACS स्तर पर ही पूरा किया जा सकेगा।

चूंकि PACS ग्रामीण विकास की रीढ़ हैं, इसलिए इनके सुदृढ़ीकरण और पुनरुद्धार से बहुत जल्द ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा मिलेगा। PACS से जुड़ी गतिविधियों के बढ़ने से जहां मौसमी बेरोजगारी खत्म होने की उम्मीद है, वहीँ इससे करीब 1 लाख PACS से सीधे जुड़े 13 करोड़ किसानों कोविशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय सृजन में फायदा होगा।

#anugamini

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics