गंगटोक, 16 अक्टूबर । बीते 3 अक्टूबर की देर रात ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट के कारण तीस्ता नदी में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने उत्तर सिक्किम के चुंगथांग में 13965 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 1200 मेगावाट की तीस्ता चरण-3 जलविद्युत परियोजना को पूरी तरह तबाह कर दिया है। ऐसे में फिलहाल यहां बिजली उत्पादन ठप हो गया है। हालांकि, इस परियोजना को हुई क्षति के मुआवजे हेतु सिक्किम सरकार के उद्यम सिक्किम ऊर्जा द्वारा पहले ही बीमा दावा दायर किया जा चुका है। लेकिन इतना तो तय है कि सिक्किम सरकार और तीस्ता ऊर्जा के लिए 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण चुकाना, उनके लिए बड़ी चिंता का विषय है।
SIKKIM URJA LIMITED (पूर्व में Teesta Urja Ltd.) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि परियोजना पूरी तरह से इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस के नेतृत्व वाले बीमाकर्ताओं के एक संघ द्वारा बीमाकृत है और इसकी कुल बीमा राशि 11400 करोड़ रुपये है। अधिकारी ने कहा, हमने दुर्घटना के अगले ही दिन बाढ़ से हुए कुल नुकसान के लिए अपना दावा दायर कर दिया था। फिलहाल इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि, किसी बड़े बीमा दावे का निपटान करना घर में चोरी या मोटरसाइकिल चोरी के दावे का निपटान करने जितना आसान नहीं होगा और यह एक जटिल, लंबी प्रक्रिया हो सकती है। उनके अनुसार, पॉलिसी में जहां आकस्मिक बाढ़ या बादल फटने से होने वाली बाढ़ से होने वाले नुकसान के लिए बीमा राशि का 100 प्रतिशत कवरेज है, वहीं जीएलओएफ द्वारा नुकसान के लिए कवरेज 500 करोड़ रुपये तक सीमित है।
सिक्किम ऊर्जा के एक दूसरे अधिकारी ने कहा, हम नहीं जानते कि यह कैसे होने वाला है, यह बताना अभी जल्दबाजी होगी।’ हालांकि, नुकसान का दावा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, वहीं, सिक्किम ऊर्जा और राज्य सरकार को परियोजना लागत हेतु लिए गए ऋण के लिए 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बड़े बकाया को चुकाने से भी तत्काल राहत मिलेगी। उनके अनुसार, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में बैंकों द्वारा राहत उपायों पर भारतीय रिजर्व बैंक के 2018 के निर्देश के आलोक में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति या जिला सलाहकार समिति इस पर विचार कर सकती है कि क्या ऋणों को पुनर्निर्धारित करने की आवश्यकता है, जिसमें उन्हें एक निर्दिष्ट अवधि तक स्थगित करना शामिल हो सकता है।
अधिकारी ने कहा, हालांकि, पुनर्भुगतान से राहत के बावजूद कंपनी के ऋण पर ब्याज जमा होता रहेगा और इस पर कोई राहत नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे में यह जरूरी है कि दावे का निपटारा जल्द से जल्द हो और ब्याज भी जमा न हो। गौरतलब है कि सिक्किम ऊर्जा और राज्य सरकार पर 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया उनके लिए गंभीर चिंता का विषय है। राज्य सरकार की अपनी निवेश कंपनी, सिक्किम पावर इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसपीआईसीएल) के माध्यम से सिक्किम ऊर्जा में 60.08 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 40 प्रतिशत में से 35 प्रतिशत का स्वामित्व मॉरीशस की ग्रीनको एनर्जी होल्डिंग्स की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ग्रीनको मॉरीशस के पास और 5 प्रतिशत हिस्सा एक प्रमुख बिजली व्यापारी पीटीसी इंडिया लिमिटेड के पास है।
सिक्किम ऊर्जा के अध्यक्ष एस सुनील सरावगी ने कहा कि इस प्राकृतिक आपदा के कारण लोगों की पीड़ा और सिक्किम सरकार पर 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारी के बारे में सोचकर मेरी रातों की नींद हराम हो चुकी है। यह गंभीर चिंता का विषय है। वहीं, पिछले सप्ताह ही पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) ने इस परियोजना को सफेद हाथी बताते हुए कहा था कि हमें अब इससे कोई बिजली नहीं मिलेगी लेकिन हम कर्ज चुकाना जारी रखेंगे।
उल्लेखनीय है कि 2005 में तत्कालीन सिक्किम सरकार ने तीस्ता नदी पर सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक को विकसित करने के लिए हैदराबाद स्थित एथेना समूह के नेतृत्व वाले एक निजी संघ तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड को चुना था। तब से तीस्ता ऊर्जा के शेयरधारकों में कई बार बदलाव आया है। 2019 में परियोजना की लागत 5705 करोड़ रुपये थी और इसके पूरा होने की समय सीमा 2012 थी। उस समय राज्य सरकार की इसमें केवल 26 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। लेकिन 2015 में मौजूदा राज्य सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 60.08 प्रतिशत कर ली और बहुमत शेयरधारक बन गई। बाद में फरवरी 2017 में #sतीस्ता-3 परियोजना को चालू किया गया।
बहरहाल, 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकाए में से राज्य सरकार को अपनी निवेश शाखा एसपीआईसीएल के माध्यम से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र की पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन को और 300 करोड़ रुपये एसबीआई को चुकाने हैं। वहीं, सिक्किम ऊर्जा को अपने ऋणदाताओं को लगभग 7 हजार करोड़ रुपये चुकाने हैं, जिनमें ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन का आधा-आधा हिस्सा है।
इस संबंध में एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा कि 2015 में तीस्ता ऊर्जा में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के क्रम में राज्य सरकार ने पीएफसी से लगभग 1800 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। समय के साथ, यह राशि बढक़र 3 हजार करोड़ रुपये हो गई है। उन्होंने बताया कि परियोजना के विकास हेतु राज्य सरकार ने 2005 में तीस्ता ऊर्जा के साथ जो समझौता किया था, उसके अनुसार तीस्ता-3 परियोजना से उत्पन्न कुल बिजली में से परियोजना के वाणिज्यिक परिचालन की तिथी से अगले 15 वर्षों तक 12 प्रतिशत और उसके बाद 20 वर्षों तक 15 प्रतिशत बिजली राज्य को नि:शुल्क प्राप्त होगी। ऐसे में बाकी 88 प्रतिशत बिजली का अधिकार तीस्ता ऊर्जा के पास रहा।
अधिकारी के अनुसार, सिक्किम सरकार ने अपने 1800 करोड़ रुपये के ऋण एवं ब्याज चुकाने हेतु पीएफसी को अपने 12 प्रतिशत हिस्से से रॉयल्टी देने का वादा किया था। इसके अलावा, राज्य सरकार ने अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में सिक्किम ऊर्जा में अपनी 60 प्रतिशत हिस्सेदारी का भी वादा किया था। वहीं, समझौते के अनुसार, तीस्ता ऊर्जा को राज्य सरकार के साथ संयुक्त उद्यम में ‘निर्माण, स्वामित्व, संचालन और हस्तांतरण’ के आधार पर परियोजना विकसित कर 35 वर्षों तक उसे चलाना था। उसके बाद इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार को सौंपा जाना था। साभार: दि प्रिंट
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