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भावी पीढ़ी के लिए जल स्रोतों की सुरक्षा आवश्‍यक : मंत्री भोज राज राई

गंगटोक : शहरी विकास विभाग (यूडीडी) द्वारा मंगलवार को राज्य पंचायत संसाधन केंद्र (जीएमसी बिल्डिंग) में अमृत 2.0 मिशन के हिस्से के रूप में शुरू की गई पहल अमृत मित्र (कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन) के तहत स्वयं सहायता समूहों के लिए जल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए महिलाओं के लिए पानी पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

प्रशिक्षण में मुख्य अतिथि के रूप में भोज राज राई (मंत्री, शहरी विकास विभाग तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग) उपस्थित थे। साथ ही जितेन्द्र सिंह राजे (आयुक्त सह सचिव, शहरी विकास विभाग), सुश्री योगिता राई (सचिव सह मिशन निदेशक, शहरी विकास विभाग), शैलेन्द्र शर्मा (प्रधान मुख्य अभियंता, शहरी विकास विभाग), जेबी बस्नेत (मुख्य अभियंता, पीएचईडी), स्वयं सहायता समूह के सदस्य तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्रशिक्षण का उद्देश्य आज उपस्थित संसाधन व्यक्तियों के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को आवश्यक ज्ञान से लैस करना था। इस पहल का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों की तकनीकी समझ को बढ़ाकर, टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देकर तथा जल प्रबंधन और संरक्षण प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देकर उन्हें सशक्त बनाना था।

मंत्री राई ने समझ बढ़ाने और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के महत्व पर बल दिया। उन्होंने उपस्थित लोगों से प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को जमीनी स्तर तक ले जाने तथा व्यापक जागरुकता एवं कार्रवाई को बढ़ावा देने का आग्रह किया। मंत्री ने ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों पर प्रकाश डाला तथा जल संरक्षण को प्राथमिकता के रूप में गंभीरता से लेने का आह्वान किया। उन्होंने प्रभावी प्रबंधन के माध्यम से जल संकट को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया और इस पहल को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सरकार के प्रयासों के समर्थन में जन भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने भावी पीढ़ी के लिए स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जल स्रोतों की सुरक्षा एवं संरक्षण के महत्व पर बल दिया।

अपने प्रारंभिक भाषण में जितेन्द्र सिंह राजे ने जल संरक्षण के महत्व पर जोर दिया और लोगों से पानी के मूल्य को समझने तथा इसकी बर्बादी को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि विभाग प्रभावी जल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए योजना में भाग लेने वाले सभी सदस्यों को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री राजे ने लोगों से पानी के बिलों का समय पर भुगतान करके अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का आग्रह किया, जिससे विभाग की पहल को समर्थन मिले। उन्होंने योजना की सफलता सुनिश्चित करने में नागरिकों और सरकार की सामूहिक भूमिका पर ज़ोर दिया।

अपने स्वागत भाषण में सुश्री योगिता राई ने अमृत मित्र पहल का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रशिक्षण का प्राथमिक उद्देश्य जल के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाना है। सुश्री राई ने अमृत मित्र कार्यक्रम के तहत पांच परियोजनाओं सहित विभाग की पहलों को रेखांकित किया तथा सरकार द्वारा शुरू की जाने वाली भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को बेहतर कार्यान्वयन और निष्पादन के लिए अपनी परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह प्रशिक्षण प्रभावी होगा तथा भविष्य में जल प्रबंधन एवं संरक्षण में सुधार लाने में योगदान देगा।

अपने संबोधन में जेबी बस्नेत ने अमृत मित्र पहल के तहत पांच परियोजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने जल संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए विभाग के चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। श्री बस्नेत ने इन परियोजनाओं की सफलता सुनिश्चित करने में सामुदायिक भागीदारी के महत्व पर बल दिया तथा उपस्थित लोगों को अपना बहुमूल्य फीडबैक साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रशिक्षण के लिए संसाधन व्यक्तियों ने विभिन्न विषयों पर प्रस्तुति दी। जिग्मी वांगचुक भूटिया, राज्य मिशन निदेशक (एसबीएम एवं एनयूएलएम) यूडीडी ने अपने प्रस्तुतीकरण में कार्यशाला के उद्देश्य का परिचय दिया तथा अमृत मित्र पहल का संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने अमृत मित्र योजना के लिए पात्रता मानदंड पर विस्तार से चर्चा की तथा स्वयं सहायता समूहों के लिए पंच सूत्रों पर चर्चा की। उन्होंने योजना के उद्देश्यों को रेखांकित किया तथा पहल के तहत परियोजनाओं के बारे में विस्तार से बताया।

जल गुणवत्ता परीक्षण पर अपने प्रस्तुतीकरण में छुल्टिम दोरजी, सहायक अभियंता, पीएचईडी ने गंगटोक जल आपूर्ति प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा की। उन्होंने जल परीक्षण प्रक्रिया के बारे में बताया तथा जलाशय और क्षेत्रीय टैंकों की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विभाग के समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर भी चर्चा की तथा इन मुद्दों पर काबू पाने के लिए रणनीतियां भी बताईं।

जल उपचार संयंत्रों के रखरखाव पर अपनी प्रस्तुति में पीएचईडी की सहायक अभियंता सुश्री अर्चना लामा ने एक फोटो प्रस्तुति दी, जिसमें दिखाया गया कि जल स्रोत से लेकर सार्वजनिक उपभोग के लिए उसके वितरण तक जल उपचार प्रक्रिया किस प्रकार की जाती है। रिसाव का पता लगाने और प्लंबिंग कार्य पर अपनी प्रस्तुति में सुश्री पेमा युडेन, एई पीएचईडी ने पानी के रिसाव का पता लगाने के तरीकों को समझाया और प्लंबिंग कार्य में आम गलतियों पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षण में एक इंटरैक्टिव सत्र भी शामिल था। धन्यवाद ज्ञापन अमृत यूडीडी की संयुक्त सचिव सह नोडल अधिकारी सुश्री जेरूषा जॉय श्रेष्ठ और यूडीडी की नगर नियोजक सुश्री सम्‍झना प्रधान ने प्रस्तुत किया।

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