गंगटोक । पड़ोसी देश चीन के साथ हुए डोकलाम विवाद का उदाहरण देते हुए सिक्किम के एकमात्र राज्यसभा सांसद दोरजी छिरिंग लेप्चा ने आज संसद में भारत-तिब्बत (चीन) सीमा क्षेत्र के भारतीय हिस्से में बसे लोगों को भूमि अधिकार देने की जोरदार वकालत की। संसद में यह मुद्दा उठाते हुए लेप्चा ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में संघर्ष की स्थिति में सीमा क्षेत्र के निवासी सीमा की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
सांसद लेप्चा ने बताया कि डोकलाम विवाद के दौरान स्थानीय लोगों ने माल ढोने वाले श्रमिक के रूप में काम करते हुए सेना को रसद आपूर्ति पहुंचाने में महत्वपूर्ण मदद की थी। उन्होंने कहा कि चीन ने अपने सीमा क्षेत्र में सफलतापूर्वक मानव बस्तियां बसा ली हैं, जबकि भारतीय हिस्से में ज्यादातर जंगल और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र हैं। ऐसे में, उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि सीमा निवासियों को भूमि अधिकार देने से भूमि के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होगा, क्योंकि उनके पूर्वजों ने इसके विकास में योगदान दिया था। उन्होंने बताया कि मैदानी इलाकों के लोग 14-15 हजार फीट की ऊंचाई पर नहीं बस सकते, जिससे स्थानीय लोग इस क्षेत्र के सबसे अच्छे संरक्षक हो सकते हैं।
इसके अलावा, लेप्चा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मैदानी इलाकों से आने वाली सेनाओं को इस क्षेत्र की कठोर जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए कम से कम 10 दिनों की आवश्यकता होती है, जबकि स्थानीय लोग स्वाभाविक रूप से अनुकूलित होते हैं, जिससे वे सीमा सुरक्षा में काफी महत्वपूर्ण बन जाते हैं। साथ ही उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सेवक से रंगपो सडक़ संलग्न वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भूमि अधिकार देने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सिक्किम के सीमावर्ती निवासियों को भी इसी तरह के अधिकार दिए जाने चाहिए।
इसके साथ ही लेप्चा ने राष्ट्रीय राजमार्ग 10 के लंबे समय तक बंद रहने पर भी चिंता व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप सिक्किम के जीएसटी में प्रतिदिन 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि उन्होंने मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और लोकसभा सांसद इंद्र हंग सुब्बा के साथ मिलकर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय सडक़ मंत्री नितिन गडकरी और गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे को हल करने की अपील की है। लेप्चा ने संसद में नाथूला व्यापार को फिर से खोलने और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की दिशा में सकारात्मक परिणाम का भी संकेत दिया। ये दोनों यात्राएं करीब 9 साल से बंद हैं।
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