गंगटोक । सिक्किम में पिछले कुछ समय में महिलाओं के खिलाफ हिंसक वारदातों में बढ़ोतरी पर Citizen Action Party – Sikkim ने चिंता जाहिर की है। साथ ही पार्टी ने सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा सरकार को इसे रोकने में विफल बताते हुए उसकी निंदा की है।
सीएपी-सिक्किम की उपाध्यक्ष एवं महिला मामलों की प्रभारी सुमति छेत्री ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि गंगटोक में सेलेप टैंक के पास हुई डंबरी छेत्री की हत्या ने हम सभी को गहरे सदमे और आक्रोश में डाल दिया है। एक महिला होने के नाते मैं इस क्रूर हत्या और घरेलू हिंसा की कड़ी निंदा करती हूं।
सीएपी महिला नेता ने कहा कि डंबरी छेत्री की यह मौत व्यक्तिगत पीड़ा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमारे समाज की हिंसक प्रवृत्ति का एक कड़वा सच है जो सरकार की कमजोरी और हमारे समाज के शर्मनाक चेहरे को उजागर करती है। यह दुखद है कि शांति का प्रतीक माने जाने वाले सिक्किम जैसे राज्य में भी महिलाएं हिंसा, उत्पीड़न और अन्याय का शिकार हो रही हैं। यह सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं।
सुमति छेत्री ने आगे कहा, पिछले कुछ वर्षों से सिक्किम में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है। नब्बे साल की महिलाओं से लेकर तीन-चार साल की बच्चियां तक बलात्कार की शिकार हुईं हैं। ये घटनाएं खबरों में तो रहती हैं, लेकिन ज्यादातर पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता। ऐसे में सरकार की भूमिका और भी अफसोसजनक है। हालांकि कानूनी ढांचा मजबूत है, फिर भी इसका कार्यान्वयन शिथिल है। ऐसे में, यह स्पष्ट है कि एसकेएम सरकार महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती है और इस उदासीनता के कारण महिलाओं में असुरक्षा बढ़ गई है।
ऐसे में, छेत्री ने एसकेएम सरकार पर महिला सशक्तिकरण के खोखले नारे और प्रचार करने का आरोप लगाते हुए कहा वर्तमान सरकार ने महिला सशक्तिकरण का सिर्फ खोखला नारा दिया है। बड़े कार्यक्रम आयोजित करना, महिला दिवस मनाना और भाषण देना सशक्तिकरण नहीं है। वास्तविकता यह है कि सिक्किम में महिलाओं को अभी भी हिंसा, उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। दरअसल, महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए एक मजबूत कानूनी व्यवस्था बनाने और न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है।
CAP महिला प्रभारी ने महिला हिंसा पर समाज की चुप्पी को भी दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, ऐसी घटनाओं के लिए हमारा समाज भी दोषी है। महिलाओं पर होने वाली हिंसा के खिलाफ समाज आवाज नहीं उठा पा रहा है। बलात्कार, हत्या और हिंसा की घटनाएं जारी रहने पर भी हम चुप हैं। इससे अपराधी को और अधिक साहस मिलता है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा हमारे समाज में सिर्फ एक अलग घटना नहीं है, यह हमारे समाज का शर्मनाक चेहरा है। महिलाओं पर अत्याचार हमारे समाज में गहरी जड़ें जमाये हुए हैं। उनके अनुसार, सिर्फ कानून बनाने से सरकार की जिम्मेदारी पूरी नहीं होती। सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को कानूनी, सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। महिलाओं को अपने जीवन के डर के बिना स्वतंत्र जीवन जीने में सक्षम होना चाहिए। एसकेएम सरकार को अब वास्तविक सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।
सुमति छेत्री ने कहा कि हिंसा के चक्र को रोकने के लिए अब हमें एकजुट होकर महिला सुरक्षा के लिए आवाज उठानी होगी। सुरक्षित स्थान बनाना, पीड़ितों को सशक्त बनाना और अपराधियों को जवाबदेह ठहराना अत्यावश्यक है। इस दिशा में समाज को अब वास्तविक महिला सशक्तिकरण के लिए हाथ मिलाना चाहिए। अब हमें न केवल आंसू पोंछने के लिए, बल्कि न्याय के लिए लड़ने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। जब तक हर महिला अपनी जान के डर के बिना जिंदगी नहीं जी सकती, हमारी लड़ाई अधूरी रहेगी।
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