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आतिथ्य क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल कर वातावरण आवश्‍यक : मंत्री ढुंगेल

गंगटोक । वित्त विभाग के वाणिज्यिक कर प्रभाग ने मंगलवार को स्थानीय चिंतन भवन में सिक्किम के होटल व्यवसायियों के साथ बैठक आयोजित की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जीटी ढुंगेल मौजूद रहे, जो जीएसटी परिषद के सदस्य भी हैं।

बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में पर्यटन, नागरिक उड्डयन, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री छिरिंग थेंडुप भूटिया, शहरी विकास विभाग के सचिव एमटी शेरपा, वाणिज्यिक कर आयुक्त मनोज राई, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग के निदेशक बिनोद शर्मा, जीएमसी आयुक्त आरबी भंडारी, सहायक निदेशक, पंचायती राज संस्थान के सदस्य, छह जिलों के नगरपालिका कार्यकारी अधिकारी, चार्टर्ड एकाउंटेंट, होटल एसोसिएशन के कार्यकारी सदस्य और राज्य के हितधारक उपस्थित थे।

मंत्री ढुंगेल ने अपने संबोधन में आतिथ्य क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल कर वातावरण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बैठक का प्राथमिक लक्ष्य सिक्किम और उसके हितधारकों की वृद्धि और समृद्धि सुनिश्चित करना है, जिससे अंततः सभी क्षेत्रों में व्यवसायों का उत्थान होगा। उन्होंने प्रतिभागियों को सामूहिक हित में निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया, साथ ही उनसे ईमानदार, आत्मनिर्भर और विकास के प्रति प्रतिबद्ध बने रहने का आग्रह किया।

उन्होंने क्षमता निर्माण के आधार के रूप में विश्वास निर्माण के महत्व पर बल दिया तथा लाइसेंसिंग और पर्यटन क्षेत्र दोनों के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने हितधारकों को सिक्किम के लोगों के सर्वोत्तम हित में कानून का पालन करने की याद दिलाई। उन्होंने बैठक के दौरान प्रस्तुत एक उत्कृष्ट समिति के गठन के प्रस्ताव के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया तथा दोहराया कि सभी निर्णय व्यापक दृष्टिकोण से लिए जाने चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी हितधारकों के हितों पर विचार किया जाए। उन्होंने सहयोगात्मक और दूरदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्हें 31 अक्टूबर तक फीडबैक देने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, उन्होंने हितधारकों को आश्वासन दिया कि सरकार कर प्रक्रियाओं को सरल बनाने और व्यापार में आसानी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

छिरिंग थेंडुप भूटिया ने आतिथ्य उद्योग पर जीएसटी के परिवर्तनकारी प्रभाव को स्वीकार किया तथा बताया कि किस प्रकार इसने कराधान प्रणाली को नया रूप दिया है। उन्होंने कहा कि आतिथ्य क्षेत्र सिक्किम की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा राज्य के वित्तीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया, जैसा कि आज की बैठक में संभव हुआ, जिसका उद्देश्य प्रशासन और हितधारकों के बीच संवादहीनता को पाटना है। पर्यटन को राज्य का प्राथमिक राजस्व जनरेटर मानते हुए, उन्होंने कर भुगतान को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने और इस क्षेत्र को जीएसटी ढांचे में निर्बाध रूप से एकीकृत करने के लिए सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिससे पर्यटकों के आगमन से लेकर सरकारी योगदान तक का सुचारू लेन-देन सुनिश्चित हो सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हितधारकों का सहयोग और सक्रिय भागीदारी इस गति को बनाए रखने तथा सिक्किम के लिए मजबूत आर्थिक भविष्य सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

एमटी शेरपा ने सभी वाणिज्यिक संस्थाओं के लिए जीएसटी नियमों के अनुपालन के महत्व पर बल दिया तथा पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए उचित पंजीकरण और जीएसटी नियमों के पालन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि व्यापार लाइसेंस को पट्टे पर देने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, क्योंकि यह कानूनी ढांचे को कमजोर करता है और व्यापार विनियमन को जटिल बनाता है।

अपने संबोधन में श्री शेरपा ने वाणिज्यिक संस्थाओं से कानून का पालन करके तथा संबंधित विभागों में पंजीकरण कराकर जिम्मेदारी से कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने व्यापार लाइसेंस जारी करने के लिए व्यवसाय-अनुकूल वातावरण बनाने का प्रस्ताव रखा, जिससे सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को लाभ होगा। इससे बेहतर दक्षता और पारदर्शिता के माध्यम से व्यवसायों और नियामक निकायों के बीच विश्वास बढ़ेगा। वाणिज्यिक कर आयुक्त मनोज राई ने एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें सिक्किम में कर प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नवीनतम उपायों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। उन्होंने कर दरों और डिफॉल्ट ट्रायल से लेकर पर्यटन उद्योग के नवीनतम आंकड़ों तक, विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर किया।

मुख्य आकर्षणों में से एक था ‘आश्रित पर्यटन’ और ‘भरोसेमंद पर्यटन’ के बीच अंतर, जिसमें सिक्किम के लिए एक टिकाऊ, दीर्घकालिक पर्यटन मॉडल बनाने के महत्व पर बल दिया गया। उन्होंने स्थानीय अर्थव्यवस्था पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संभावित प्रभाव पर भी चर्चा की। उन्होंने आगामी महीनों में शुरू की जाने वाली कई महत्वपूर्ण गतिविधियों की रूपरेखा प्रस्तुत की। होटल पट्टा समझौतों के पंजीकरण हेतु शुल्क के माध्यम से राजस्व सृजन की शुरुआत की गई है। मौजूदा और नए पर्यटन संबंधी व्यवसायों को अब सिक्किम पर्यटन व्यापार पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। एक नया सॉफ्टवेयर पहचान दस्तावेजों के साथ-साथ अतिथियों के चेक-इन और चेक-आउट डेटा को अपलोड करने में सक्षम होगा, जिससे सुव्यवस्थित और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित होगा। नाथुला, छांगू और बाबा मंदिर जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर जाने के लिए परमिट प्राप्त करने हेतु जल्द ही एक उपयोगकर्ता-अनुकूल ऐप उपलब्ध होगा।

पर्यटन को और अधिक बढ़ावा देने के लिए, होटलों को आकर्षक सब्सिडी देने वाली एक औद्योगिक प्रोत्साहन योजना जल्द ही शुरू की जाएगी, जिससे इस क्षेत्र में विकास और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने पर्यटन और होटल उद्योग में अनुपालन को कड़ा करने के उद्देश्य से कई नियामक चेतावनियों पर भी बात की। लाइसेंस केवल भौतिक व्यक्तियों या कानूनी संस्थाओं को ही जारी किए जाएंगे, जिससे स्पष्ट जवाबदेही सुनिश्चित होगी। किसी भी लाइसेंसधारी को ट्रेडनाम का उपयोग करने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि वह उचित रूप से पंजीकृत है। किसी भी अनधिकृत गतिविधि को रोकने के लिए उप-पट्टे पर प्रतिबंध का नियमित और सख्त प्रवर्तन किया जाएगा। लाइसेंस नवीनीकरण के लिए अब सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना आवश्यक होगा, जिससे नवीनीकरण प्रक्रिया सरल हो जाएगी और गहन जांच सुनिश्चित होगी।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने हितधारकों के लिए रोडमैप भी रेखांकित किया, जिसमें कहा गया कि जो होटल व्यवसायी उचित लाइसेंस की कमी के कारण अपने पंजीकरण को रद्द करने का विरोध करना चाहते हैं, वे 31 अक्टूबर, 2024 से पहले वाणिज्यिक कर प्रभाग को लिखित प्रतिनिधित्व प्रस्तुत कर सकते हैं। पट्टादाताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया जाता है कि उनके पट्टेदार सभी आवश्यक कर रिटर्न दाखिल करें और अपने करों का भुगतान करें, ताकि पट्टादाता पर संभावित कर बकाया न पड़े। एक दूरदर्शी पहल के तहत, उन्होंने इन सुधारों की प्रगति की निगरानी और निरीक्षण के लिए एक संचालन समिति के गठन का प्रस्ताव रखा। सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों वाली यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि इन नई नीतियों और विनियमों का राज्य भर में प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हो। उन्होंने कहा कि इन पहलों से सिक्किम का पर्यटन उद्योग अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और व्यापार-अनुकूल वातावरण से लाभान्वित होगा, जिससे यह राज्य पर्यटकों और निवेशकों दोनों के लिए और भी अधिक आकर्षक गंतव्य बन जाएगा।

इसी प्रकार, गंगटोक के चार्टर्ड अकाउंटेंट मिशेल चांडक ने राजस्व साझाकरण मॉडल की कार्यप्रणाली पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जो पार्टियों को पूर्व-निर्धारित अनुपात में लाभ और हानि को साझा करने की अनुमति देता है, जो व्यापार भागीदारों के बीच सहयोग और जोखिम-साझाकरण को बढ़ावा देने, व्यापार स्थिरता और लाभप्रदता को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया दृष्टिकोण है। उन्होंने बताया कि राजस्व-साझाकरण मॉडल, पक्षों के बीच आपसी समझौते पर आधारित है, जिसमें अर्जित लाभ का एक निश्चित प्रतिशत साझा किया जाता है तथा किसी भी प्रकार की हानि को भी वहन किया जाता है, जिससे न्यायसंगत सहयोग पर बल मिलता है, तथा व्यवसाय में अपने-अपने योगदान से दोनों पक्षों को लाभ मिलता है। इस मॉडल को प्रबंधन अनुबंध मॉड्यूल के अंतर्गत व्यवसाय द्वारा अर्जित सकल राजस्व या शुद्ध लाभ पर आधारित किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि इस मॉडल का सबसे आकर्षक पहलू वित्तीय जोखिमों को वितरित करने की क्षमता है, जिससे हानि की अवधि के दौरान किसी एक पक्ष पर पड़ने वाले प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राजस्व साझेदारी मॉडल सिक्किम में, विशेष रूप से पर्यटन और सेवा क्षेत्रों में व्यावसायिक साझेदारी के लिए एक आधुनिक, लचीले दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। सभी हितधारकों के हितों को संरेखित करके तथा लाभ और जोखिम दोनों को साझा करके, व्यवसाय दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं। साथ ही नवाचार और विकास को बढ़ावा देकर अपनी ब्रांड प्रतिष्ठा और साख बढ़ा सकते हैं।

प्रस्तुति के बाद एक सक्रिय बातचीत सत्र आयोजित हुआ। वित्त विभाग के वाणिज्यिक कर प्रभाग के सहायक आयुक्त रमेश चंद्र राई ने कार्यक्रम में अपनी बहुमूल्य उपस्थिति और भागीदारी के लिए सभी हितधारकों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने उनके योगदान की सराहना की तथा उद्योग के भविष्य को आकार देने में उनके सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम का संचालन वित्त विभाग के वाणिज्यिक कर प्रभाग के संयुक्त आयुक्त किरण ठटाल ने किया। कार्यक्रम का समापन वित्त विभाग के वाणिज्यिक कर प्रभाग के संयुक्त आयुक्त श्री दोरजी वांगचुक भूटिया द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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