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एमटीपी अधिनियम में संशोधनों पर डॉ मनीषा राई ने दी जानकारी

गंगटोक । गर्भधारण और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के तहत राज्य सलाहकार समिति की एक बैठक की आज स्थानीय स्वास्थ्य सचिवालय सभागार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, सिक्किम की निदेशक डॉ अनुषा लामा की अध्यक्षता में आयोजित हुई। इसमें रिप्रोडक्टिव चाइल्ड हेल्थ निदेशक डॉ अनीता भूटिया और संयुक्त निदेशक डॉ मनीषा राई के साथ-साथ न्यू एसटीएनएम अस्पताल के रेडियोलॉजी, ओबीजी एवं शिशु रोग विभाग के समिति सदस्यों के अलावा विभिन्न एएसएचआई एनजीओ, सूचना व जनसंपर्क विभाग और कानूनी अधिकारी भी उपस्थित थे।

इसकी शुरुआत में आरसीएच संयुक्त निदेशक डॉ मनीषा राई ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) अधिनियम में संशोधनों का एक विस्तृत अवलोकन प्रदान करते हुए इसके और पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के बीच जटिल संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दोनों अधिनियम प्रजनन स्वास्थ्य मुद्दों से निपटते हैं और विभिन्न पहलुओं को संबोधित करते हैं। एमटीपी अधिनियम मुख्य रूप से महिलाओं के प्रजनन अधिकारों और स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने, सुरक्षित गर्भपात सेवाओं को विनियमित करने और प्रदान करने पर केंद्रित है। दूसरी ओर, पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम का उद्देश्य लिंग निर्धारित गर्भपात को रोकना और लैंगिक भेदभाव से निपटने के लिए प्रसव पूर्व निदान तकनीकों के उपयोग को विनियमित करना है।

ऐसे में दोनों अधिनियमों के बीच टकराव की संभावना जताते हुए डॉ राई ने कहा कि खासकर गर्भपात सेवाओं और प्रसव पूर्व निदान प्रक्रियाओं के विनियमन के संबंध में यह ओवरलैप स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, नीति निर्माताओं और प्रकाशन के बीच कार्यान्वयन, प्रवर्तन और समझ में चुनौतियों का कारण बन सकता है। ऐसे में लैंगिक भेदभाव रोकने और महिलाओं के स्वास्थ्य एवं अधिकारों को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रजनन स्वास्थ्य मुद्दों को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए इनके अंतर को स्पष्ट करना और दोनों अधिनियमों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

वहीं, एनएचएम मिशन निदेशक डॉ अनुषा लामा ने बैठक में प्रजनन स्वास्थ्य एवं सुरक्षित गर्भपात सेवाओं तक पहुंच सहित किशोर स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। उनके अनुसार, इसके लिए एमटीपी किट और एमएमए दवाओं की अत्यधिक बिक्री रोकने हेतु इस पर सख्त नियम, शैक्षिक अभियान लागू करने जैसी रणनीति विकसित करने के लिए विचार-मंथन सत्र आयोजित किए जा सकते हैं।

इसके अलावा, उन्होंने गर्भपात और किशोर प्रजनन स्वास्थ्य के संबंध में लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के बीच दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जिसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं और वकालत के प्रयास शामिल हो सकते हैं। वहीं, आगामी पहल के अंतर्गत मिशन निदेशक ने गर्भपात सेवा संबंधित जानकारियों और सहायता चाहने वाली महिलाओं के लिए एक गोपनीय हेल्पलाइन की स्थापना का प्रस्ताव रखा। इसके अतिरिक्त, जागरुकता हेतु सोशल मीडिया विकल्पों की खोज के साथ-साथ एक सूचना, शिक्षा एवं संचार अभियान सटीक जानकारी प्रसारित करने, मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करने और सुलभ और उपलब्ध प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया।

#anugamini #sikkim

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