sidebar advertisement

सिक्किम में 14 नई प्रजातियों के वनस्पितयों की हुई खोज

गंगटोक । सिक्किम के लिए समर्पित तिकड़ी ने मातृभूमि की समृद्ध जैव विविधता के छिपे हुए रत्नों की खोज के लिए एक खोज शुरू की है, जिसमें 14 प्रजातियां दर्ज की गई हैं। इनमें 12 नए ऑर्किड और 2 वाइल्ड जस्मीन शामिल हैं।

यह अनुसंधान तीन स्थानीय लोगों द्वारा किया गया, जिसमें प्रकाश लिम्बू (सिक्किम में एचआरडीडी में कार्यरत भूगोल के शिक्षक), प्रमोद राई (नामची के वनस्पति विज्ञान के विद्वान) तथा मधुसूदन खनाल (कालिम्पोंग के पीएचडी विद्वान) शामिल हैं। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्रीय वनस्पतियों पर सामूहिक रूप से काम करना शुरू किया था।

सिक्किम देश के भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 0.2 प्रतिशत है, इसमें प्रचुर जैव विविधता है। इसे पूर्वी हिमालय में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थलों में से एक माना गया है। सिक्किम वन एवं पर्यावरण विभाग के अनुसार, राज्य समृद्ध वनस्पति एवं जीव विविधता से संपन्न है। प्रजातियों की दृष्टि से राज्य में 4500 से अधिक फूलदार पौधे, 550 आर्किड, 36 रोडोडेंड्रोन, 16 कोनिफर, 28 बांस, 362 फर्न और उनके सहयोगी पौधे, 9 वृक्ष फर्न, 30 प्रिमुला, 11 ओक, 424 से अधिक औषधीय पौधे, 144 से अधिक पल्स मामलस, 550 पक्षी, 48 मछलियां और 600 से अधिक तितलियां पाई जाती हैं।

हालांकि ये आंकड़े अभी भी पूर्ण नहीं हैं, लेकिन यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि ये केवल विशाल जीव-जंतु और वनस्पति के आंकड़े हैं। भृंग और पतंगे जैसे कीटों को अभी गिना जाना बाकी है। विभाग ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि ऊंचाई पर पाए जाने वाले ज्‍यादातर औषधीय पौधे दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां हैं। सिक्किम में 28 पर्वत की चोटियां, 80 से ज्‍यादा ग्लेशियर, 227 ऊंचाई पर स्थित झीले और 104 से अधिक नदियां और जलधाराएं भी हैं। सिक्किम से भारत के लिए दो नए रिकॉर्ड आर्किड बल्बोफिलम निग्रेसेन्स और कोलोगिन फिटामी हैं।

सिक्किम में नए 10 ऑर्किड मिले हैं, जिसमें बल्बोफिलम फॉरेस्टी, बी निग्रेसेंस, कोलोगिन बुलिया, सी चिनेंसिस, सी माइक्रांथा, डेंड्रोबियम ब्रायमेरियनम, डी कैपिलिप्स, डी दार्जिलिंगेंस, डी पेंडुलम, गुडीरा विरिडीफ्लोरा और वांडा लॉन्गिटेपाला हैं। वहीं जस्मीन के दो नए रिकॉर्ड हैं, जिसमें जैस्मीनम कॉडेटम और जे ग्रैंडिफ्लोरम शामिल है। ये अभिलेख अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं एक्टा फाइटोटैक्सा जियोबोटानिका, जर्नल ऑफ थ्रेटन्ड टैक्सा, नेलुम्बो और प्लीओन में प्रकाशित हुए हैं। वे सिक्किम के उन प्राकृतिक खजानों को दुनिया के सामने लाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि करीब 10 अन्य प्रजातियां भी तैयार हैं, जिन्हें निकट भविष्य में प्रकाशित किया जाएगा। सिक्किम में कुछ संस्थान क्षेत्रीय वनस्पतियों के व्यापक अध्ययन पर लगातार काम कर रहे हैं। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बलुवाखानी, गंगटोक), जीबी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान (पंगथांग, गंगटोक), सिक्किम विश्वविद्यालय (गंगटोक) और राज्य वन विभाग इस क्षेत्र में कार्यरत प्रमुख संस्थान हैं। रोचक बात यह है कि यह अनुसंधान बिना किसी औपचारिक वित्तपोषण या वित्तीय सहायता के किया गया।

लेखकों का मानना है कि उच्च संस्थानों से उचित सहायता के साथ यदि सिक्किम में इसी तरह का कार्य किया जाए तो वहां विशाल अज्ञात प्राकृतिक संसाधन सामने आ सकते हैं। उनका यह भी मानना है कि इस पर कार्रवाई करने का यह सही समय है, क्योंकि कुछ खजाने अपनी सही पहचान से पहले ही लुप्त हो सकते हैं। लेखकों के साथ बातचीत से पता चला कि वे व्यक्तिगत स्तर पर स्थानीय वनस्पतियों, विशेषकर आर्किड की सुरक्षा में संलग्न हैं। वे अपने निजी बगीचों में उगने वाले पौधों को उनके प्राकृतिक आवासों से बचाकर लाते हैं और कभी-कभी उन पौधों को पुनः जंगल में रोप देते हैं। यह इस क्षेत्र में आर्किड प्रेमियों द्वारा अपनाई जाने वाली एक सामान्य प्रथा है।

#anugamini #sikkim

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics