नई दिल्ली (ईएमएस)। प्रधानमंत्री मोदी ने पॉडकास्ट में तमाम मुद्दों पर बातचीत की, इस दौरान पीएम ने कहा कि ‘मिनिमम गर्वनेंट और मैक्सिमम गर्वनेंस’ में लोगों ने अपने-अपने अर्थ निकाले हैं। पीएम ने कहा- कुछ लोगों को लगा मंत्रियों की संख्या का मतलब मिनिमम गर्वनेंट, कुछ लोगों को लगा कर्मचारियों की संख्या मतलब मिनिमम गर्वनेंट, मेरी ये कल्पना कभी नहीं थी, ऊपर से मैंने तो आकर करके स्किल मंत्रालय अलग बनाई, सहकारिता मंत्रालय अलग बनाई, मत्स्य मंत्रालय अलग बनाई। तो देश में जिन-जिन फोकस एरिया होते हैं उसके तहत।
पीएम ने कहा, जब मैं ‘मिनिमम गर्वनेंट और मैक्सिमम गर्वनेंस’ कहता हूं, हमारे यहां जो प्रोसेस चलती है लंबी…एक क्लीयरेंस लेना है तो छह-छह महीने चल रहा है। कोर्ट-कचहरी का मामला है, तो 100-100 साल तक पुराने केस अभी लटके पड़े हैं। इसलिए हमने क्या किया, करीब 40 हजार अनुपालन हमने निकाल दिए। वरना ये विभाग आपसे ये चीज मांगेगा, तो पास के अन्य विभाग भी आपसे वही चीज मांगेंगे। इस तरह से 40 हजार अनुपालन हिंदुस्तान के सामान्य जनता पर कितना भार पड़ता है। मैंने करीब-करीब 15 सौ कानून खत्म किए हैं। मैंने आपराधिक चीजों से जोड़ने वाले कानूनों को बदला है। ये मेरी ‘मिनिमम गर्वनेंट और मैक्सिमम गर्वनेंस’ की कल्पना है। और मैं आज देख रहा हूं, ये सब चीजें हो रही है।
साक्षात्कार में पीएम मोदी ने यूपीआई, ईकेवाईसी, आधार को लेकर किए गए सवाल पर कहा कि, आज मैं 30 सेकेंड में 10 करोड़ किसानों के खाते में सीधे पैसे भेज सकता हूं। मैं आज देश के 13 करोड़ गैस सिलेंडर के उपभोक्ताओं को सब्सिडी के पैसे एक क्लिक से 30 सेकेंड में भेज सकता हूं। क्योंकि जनधन खातों से देश के करोड़ों रूपये जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते थे वो गया और टेक्नोलॉजी का उपयोग हुआ।
पीएम ने आगे कहा, आप यूपीआई को देखिए, ये पूरी दुनिया के लिए अजूबा है। दुनिया के मेहमान आते थे, पूछते हैं कि यूपीआई कैसे काम करता है। मैं उनको कहता हूं कि आप किसी वेंडर के यहां हो आइए। फिनटेक की दुनिया में और टेक्नोलॉजी को डेमोक्रेटाइज कैसे किया जाता है। ये दुनिया के सामने भारत ने एक उदाहरण पेश किया है। आज देश के नौजवानों के जेब में एक मोबाइल फोन हो, तो उसे किसी चीज की जरूरत नहीं है। और मेरे देश के नौजवान याद रखेंगे कि, कभी न कभी, एक ऐसी सरकार आई थी, जब पूरी दुनिया मेरी जेब में थी, मेरे मोबाइल में थी।
वहीं पीएम मोदी ने दुनिया में भारत की छवि बदलने के सवाल पर कहा कि, पहली बात ये है कि मैंने बदला है, ये दावा करना वो सही नहीं है। मेरा मत ये है कि दुनिया में जो भी व्यक्ति जाता है, वो सरकार जिसको भेजती है वो राजदूत है… ये जाते हैं…राष्ट्रदूत हैं। हमारी नीति आयोग का एक शुरुआती उद्देश्य ये है कि विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय के सामर्थ्य को जोड़ना। तो सुविचारित मेरा मत है कि विश्व भर में ये जो सामर्थ्य है उन सबको जोड़ना चाहिए। इस ताकत का उपयोग पहले होता नहीं था। मैंने उसको चैनेलाइज करना शुरू किया। तो दुनिया के राजनेताओं को लगने लगा कि ये तो बहुत बड़ी ताकत है। इस सबके कारण देश की छवि बदली और बढ़ी है।
#anugamini
No Comments: