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चार बार सीएम रहे करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल ने थामा भाजपा का दामन

नई दिल्ली, 07 मार्च। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरण की बेटी भाजपा में शामिल हो गई हैं। कांग्रेस नेता पद्मजा वेणुगोपाल कद्दावर कांग्रेसी पिता की विरासत छोड़कर भाजपा का दामन थामा है। गुरुवार शाम दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पद्मजा को पार्टी की सदस्यता दिलाई। सदस्यता ग्रहण करने के बाद पद्मजा ने कहा कि अपने सियासी करियर में वे पहली बार राजनीतिक दल बदल रही हैं। उन्होंने कहा कि वे लंबे समय से कांग्रेस की कार्यशैली से नाखुश थीं। उन्होंने कहा कि भाजपा का दामन उन्होंने बिना किसी शर्त के थामा है। कांग्रेस नेताओं ने उनके फोन उठाना बंद कर दिए थे।

पद्मजा वेणुगोपाल का आरोप है कि कांग्रेस आलाकमान तक अपनी पीड़ा और शिकायत पहुंचाने के बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि वे केरल से दिल्ली कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मिलने आईं, लेकिन उन्होंने भाव नहीं दिया। किसी ने मिलने की जहमत नहीं उठाई। बकौल पद्मजा, ‘मैं सोनिया गांधी का बहुत सम्मान करती हूं लेकिन उन्होंने मुझे कभी समय नहीं दिया।’ रिपोर्ट्स के मुताबिक पद्मजा कांग्रेस उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुकी हैं। हाल ही में पार्टी ने उन्हें महासचिव पद पर नियुक्त किया था।

चार बार मुख्यमंत्री रहे करुणाकरण की बेटी पद्मजा का भाजपा सदस्य बनना इस दृष्टिकोण से भी अहम है, क्योंकि भाजपा अपना जनाधार मजबूत करने के लिए दक्षिण भारत समेत ऐसे इलाकों पर फोकस कर रही है, जहां अभी पार्टी के पास पर्याप्त वोट और सांसद-विधायक नहीं हैं। केरल भी उन राज्यों में शामिल है, जहां भाजपा को अभी सत्ता पर असर डालने के नजरिए से शून्य से शुरुआत करनी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि पद्मजा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से नाराज चल रही थीं। सूत्रों के मुताबिक सियासी मात के बाद पद्मजा राज्यसभा नामांकन पाने की उम्मीद कर रही थीं, लेकिन पार्टी ने विचार नहीं किया। उन्हें लोकसभा चुनाव 2024 में भी टिकट मिलने की संभावना न के बराबर थी। खबरों के मुताबिक कांग्रेस ने सभी मौजूदा सांसदों को मैदान में उतारने का फैसला किया है। खबरों के मुताबिक पद्मजा जिला कांग्रेस समितियों के पुनर्गठन के दौरान त्रिशूर में उनके प्रत्याशियों को तरजीह न मिलने से भी खफा थीं। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के कई नेता त्रिशूर में करुणाकरण का स्मारक बनाने के इच्छुक नहीं थे।

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री करुणाकरण और उनके बेटे मुरलीधरन ने 2004 में कांग्रेस छोड़ दी थी। दोनों ने डेमोक्रेटिक इंदिरा कांग्रेस (करुणाकरण) का गठन किया था, लेकिन उल्लेखनीय राजनीतिक प्रभाव डालने में विफल रहने के बाद दोनों 2007 में कांग्रेस में वापस लौट आए। खबरों के मुताबिक पद्मजा ने ही दोनों को पार्टी में वापस लाईं। भले ही पद्मजा कांग्रेस से जुड़ी रहीं, लेकिन उन्हें अपने राजनीतिक करियर में लगातार असफलताओं का सामना करना पड़ा। आगे चलकर भाई मुरलीधरन वडकारा से लोकसभा सांसद भी बने। पद्मजा ने 2016 और 2021 में केरल विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार मुंह की खानी पड़ी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तीन दिन पहले तक कांग्रेस के कार्यक्रमों में शामिल रहीं, पद्मजा ने गुरुवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस फैसले से आहत पद्मजा के भाई ने कहा है कि उनके पिता की आत्मा इस कृत्य के लिए उन्हें माफ नहीं करेगी। वडकारा लोकसभा सीट से निर्वाचित सांसद मुरलीधरन ने कहा कि वे पद्मजा से सभी संबंध तोड़ रहे हैं। (एजेन्सी)

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