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संसद में सदस्य अपनी राय रख सकते, सभापति नहीं : कपिल सिब्बल

नई दिल्ली । राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा राज्यसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कसीदे पढ़े जाने पर सियासी विवाद गहरा गया है। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने धनखड़ पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उच्च सदन के सभापति का बयान परंपरा के बिल्कुल उलट है। इस तरह की राय एक सदस्य रख सकता है, मगर सभापति नहीं।

दरअसल, जगदीप धनखड़ ने बुधवार को आरएसएस पर टिप्पणी करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। साथ ही उन्होंने आरएसएस की तारीफ में कसीदे पढ़े थे। उन्होंने कहा था कि यह राष्ट्र की सेवा में लगा संगठन है और संगठन से जुड़े लोग निस्वार्थ भाव से काम करते हैं। देश के काम में लगे संगठन की आलोचना करना संविधान के खिलाफ है और उसे देश की विकास यात्रा का हिस्सा बनने का अधिकार है। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें टोकने की कोशिश भी की थी। इस हंगामे के बाद बसपा और बीजद सहित विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर दिया था।

अब राज्यसभा के सभापति की टिप्पणी पर सिब्बल ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि धनखड़ जी ने कहा था कि एक संगठन के रूप में आरएसएस की साख बेजोड़ है। इस पर मेरा मानना है कि यह सिर्फ उनकी राय है, जिससे सदन में अन्य लोग असहमत हो सकते हैं।

सिब्बल ने आगे कहा कि चूंकि धनखड़ राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस तरह की राय एक सदस्य द्वारा दी जा सकती है, लेकिन सभापति द्वारा नहीं। यह परंपरा के बिल्कुल विपरीत है।

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