sidebar advertisement

जम्मू-कश्मीर में उद्योग और रोजगार के मुद्दे गायब, 370 पर लड़ा जा रहा विधानसभा चुनाव

नई दिल्ली (ईएमएस)। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 25 सिंतबर को होने जा रही वोटिंग की तैयारियां जोरदार तरीके से चल रही हैं। 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यह पहला अवसर है जब राज्य में चुनाव हो रहे हैं। यहां के मूल मुद्दों को लेकर राजनैतिक दल उतने दमखम से नहीं उठा रहे जितने उन्हे उठाना चाहिए। यहां कोई कहता है कि अनुच्छेद 370 वापस लगा देंगे तो कोई कहता है ऐसा कभी नहीं होगा। जबकि यहां के लोगों का मानना है कि यहां उद्योग और रोजगार की जरुरत है। बता दें कि कई उद्योगों और स्टार्टअप्स को आतंकवाद और अस्थिरता के कारण ठप होना पड़ा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में सुप्रीम कोर्ट के इंटरनेट बंदी के आदेश के बाद से 2022 में 43 बार और 2023 में 10 बार इंटरनेट सेवाएं बाधित की गईं। इससे राज्य के व्यवसायों और कृषि गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। कश्मीर में सेब की खेती एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत है। हर साल 15 हजार करोड़ रुपये का सेब का व्यापार होता है, जो करीब सात लाख लोगों की रोजी-रोटी का साधन है।

देश में 80 प्रतिशत सेब का उत्पादन कश्मीर में होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इंटरनेट सेवाएं स्थिर रहतीं, तो सेब के व्यापार में और भी वृद्धि हो सकती थी। इंटरनेट बंद होने से सेब उत्पादकों को गंभीर नुकसान उठाना पड़ता है, जो उनके व्यापार को प्रभावित करता है। भाजपा सरकार ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में स्टार्टअप्स और उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, लेकिन बार-बार इंटरनेट बंद होने से यह प्रयास प्रभावित हो रहा है। स्टार्टअप्स के लिए इंटरनेट एक आवश्यक तत्व है, और इसके बिना उनका संचालन ठप हो जाता है। कई स्टार्टअप व्यवसायी अन्य शहरों में चले जाते हैं, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर होती है।

#anugamini

 

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics