नई दिल्ली । नई दिल्ली में गुरुवार को भारत और मिस्र के बीच पहली रणनीतिक वार्ता हुई। इस बैठक को दोनों देशों ने अपने रिश्तों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया। विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलअती ने दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करने का संकल्प दोहराया।
जयशंकर ने कहा कि 2023 में भारत-मिस्र संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर पर ले जाने के बाद से दोनों देशों के बीच रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और राजनीतिक सहयोग कई क्षेत्रों में तेजी से बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘हमारी बैठक इस रिश्ते में एक अहम पड़ाव है। यह अवसर है बीते सहयोग की समीक्षा करने और आगे की दिशा तय करने का।’ जयशंकर ने मिस्र की सरकार और विदेश मंत्री अब्देलअती को पहलगाम आतंकी हमले के बाद दिखाई गई एकजुटता के लिए धन्यवाद भी दिया। उन्होंने कहा कि उस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने एक-दूसरे से बात की थी।
जयशंकर ने कहा, हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब वैश्विक स्थिति काफी जटिल और अस्थिर है। मौजूदा चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान दोनों देशों के लिए फायदेमंद है। उन्होंने मिस्र के राष्ट्रपति सिसी के नेतृत्व में गाजा पट्टी में शांति बहाल करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन करता है और फिलिस्तीन के विकास के लिए लगातार मदद कर रहा है। भारत ने फलस्तीन में क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास और संस्थानों को मजबूत करने के लिए सहयोग का भरोसा दोहराया। जयशंकर ने कहा कि भारत और मिस्र वैश्विक दक्षिण के देशों के हितों और स्वतंत्र नीति के पक्षधर हैं।
मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलअती ने कहा, भारत और मिस्र के संबंध इतिहास, भौगोलिक निकटता और साझा हितों से जुड़े हैं। लेकिन हमें इन रिश्तों को और आगे ले जाना होगा ताकि दोनों देशों की जनता को और फायदा हो। उन्होंने कहा कि भारत की विशाल आर्थिक क्षमता और मिस्र के अवसरों को जोड़कर दोनों देश व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। उन्होंने भारत के उद्योगपतियों से मुलाकात कर निवेश के नए अवसरों पर चर्चा की।
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