गंगटोक । पूर्वोत्तर के छोटे हिमालयी राज्य सिक्किम के प्रसिद्ध बांस हस्तशिल्प कलाकार जोर्डन लेप्चा को कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु आज पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने लेप्चा को यह सम्मान प्रदान किया।
मंगन जिले के जोंगू निवासी जोर्डन लेप्चा विगत कई वर्षों से बांस से विभिन्न प्रकार की हस्तशिल्प सामग्रियां तैयार कर लेप्चा जनजाति की परंपरा को संरक्षित कर रहे हैं। 28 जुलाई 1971 को जोंगू के हरियाली के बीच स्थित सुदूरवर्ती रुबेयाम राम गांव में जन्मे लेप्चा बचपन से ही कला प्रेमी थे। उनके माता-पिता उन्हें बांस की कला की ओर आकर्षित किया, जिसके कारण वह इस क्षेत्र में आगे बढ़ते गए। अपनी प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करने के जुनून के साथ लेप्चा ने काफी मेहनत एवं लगन क साथ लेप्चा टोपी बनाने में महारत हासिल की है।
लेप्चा को शुरुआत में अपनी तैयार की गई छोटी-मोटी वस्तुओं को बेचने में काफी मुश्किलों को सामना करना पड़ा। उस समय अपना परिवार चलाने के लिए उन्हें नौकरी भी करनी पड़ी। बाद में 1997 में वह सिक्किम सरकार के उद्योग विभाग द्वारा आयोजित 6 महीने के पारंपरिक टोपी बुनने के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए जो उनके लिए एक टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ। वर्ष 2005 में लेप्चा ने सिक्किम सरकार के हस्तशिल्प निदेशालय के तत्वावधान में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया और उन्होंने इच्छुक कारीगरों के बीच कौशल को साझा करना शुरू किया। वह इच्छुक कारीगरों को लेप्चा टोपी बुनाई की कला को अपनाने और आत्मसात करने में सक्षम बनाने के लिए अपने आवास पर मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं।
अपने इन प्रयासो में जोर्डन लेप्चा ने न केवल सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के साथ कई लोगों को शिल्प कौशल के माध्यम से अपना जीवन जीने के लिए सशक्त और सक्षम भी बनाया है। समर्पण और कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप उनकी विशेषज्ञता ने न केवल मान्यता बल्कि प्रसिद्धि भी अर्जित की है। उन्हें केंद्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय से योग्यता प्रमाणपत्र और सिक्किम राज्य से विशिष्ट गुरुशिल्पी की उपाधि भी प्रदान की गई है।
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