दार्जिलिंग । दार्जिलिंग के BJP विधायक नीरज जिम्बा ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा और चुनौती दी कि अगर आप गोरखाओं को न्याय नहीं दे सकते, तो हमारी नागरिकता छीन लें।
विधायक जिम्बा ने कहा कि आपने नागाओं को न्याय दिया, आपने मिज़ोस को न्याय दिया, आपने लद्दाखियों को न्याय दिया, आप गोरखाओं को न्याय क्यों नहीं देते? इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि गोरखालैंड गोरखाओं के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है। उन्होंने केंद्र सरकार को संकेत दिया कि गोरखालैंड का आंदोलन आगे बढ़ रहा है। आज गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा ने दार्जिलिंग के सुमेरू मंच पर गोरखा प्रतिरोध दिवस मनाया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित विधायक जिम्बा ने अपने विचार व्यक्त किये। गोरामुमो ने कहा कि 23 अगस्त 1988 को भारत सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि गोरखा भारत के मूल नागरिक हैं। इसके औचित्य की जानकारी देने के लिए गोरामुमो ने सुमेरू मंच पर एक आमसभा आयोजित की।
इस सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए जिम्बा ने कहा कि 22 अगस्त और 23 अगस्त 1988 गोरखाओं के लिए महत्वपूर्ण दिन हैं। 22 अगस्त, 1988 को दार्जिलिंग गोरखा माउंटेन काउंसिल के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ और 23 अगस्त, 1988 वह दिन है जब गोरखाओं को उनकी विरासत मिली, जिस दिन गोरखाओं को नागरिकता मिली, जिस दिन गोरखाओं को प्रथम श्रेणी की नागरिकता मिली। लेकिन हम इन दिनों को भूल गए हैं। लेकिन सभी लोग कुर्सी के पीछे चले गये। काले झंडे से हमारा तात्पर्य एक चुनौती से है।
उन्होंने कहा कि गोरखाओं को अब जागना होगा। लाल कोठी की कुर्सी पर बहुत लोगों की नजर है। काला झंडा लगाने के कई मायने होते हैं, जिनका खुलासा अभी नहीं किया जा सकता है। बंगाल हमारी कब्रगाह है यह कहने वाले बुद्धिजीवी अभी कहां हैं। जिम्बा ने कहा कि अपनी जाति के सम्मान और स्वाभिमान के लिए विधायक पद से इस्तीफा देना कोई बड़ी बात नहीं है। हमने देश के लिए हजारों बलिदान दिए हैं, लेकिन हमें न्याय नहीं मिल पाया है। हमसे सब कुछ छीन लिया गया। हमने छठी अनुसूची भी खराब कर दी। जब आप हमें न्याय नहीं दे सकते तो हमारी नागरिकता छीन लीजिए।
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