गेजिंग । पश्चिम सिक्किम के गेजिंग-बर्मेक क्षेत्र अंतर्गत बर्थांग गांव में पीने के पानी की समस्या पिछले 40 सालों में भी हल नहीं हो पाई है। इसके कारण गांव में रहने वाले करीब 65 परिवारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, एक जल स्रोत में निजी पाइप लाइन बिछा कर से कई ग्रामीणों ने जलापूर्ति की व्यवस्था की है, लेकिन गर्मी में जल स्रोत के सूख जाने पर समस्या होती है। ऐसे में ग्रामीणों ने सरकारी तौर पर जल आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है।
इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि चालीस साल पहले यह समस्या जैसी थी, अब भी वैसी ही है। उनके अनुसार, 2002 में सुंबोक निवासी दीपक सुब्बा ने स्रोत से पीने का पानी लाने का काम शुरू किया था। लेकिन 2024 में भी यह पूरा नहीं हो पाया है। ग्रामीणों के अनुसार, हम कितने दुखी हैं, यह गांव वाले ही जानते हैं, क्योंकि वर्तमान में साज बोटे देवीथान में पानी ही पानी है। लेकिन जब गर्मी आती है तो पानी सूख कर कम हो जाता है। ऐसे में हम बड़ी मुश्किल से अपनी पानी की आवश्यकता पूरी करते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, हमारी इस पर समस्या पर किसी का ध्यान नहीं है। 1984 में सबसे पहले भंडारी सरकार के दौरान केके प्रधान के नेतृत्व में गांव में पानी लाया गया था। उस समय बिछाई गई पानी की पाइपें वर्तमान में काफी पुरानी और क्षतिग्रस्त हो गईं हैं। बीच में इसका कोई मरम्मत कार्य भी नहीं हुआ है। वर्तमान में गांव के केवल 80 परिवार निजी पाइप लाइन से जल की आपूर्ति करते हैं। लेकिन अन्य ग्रामीणों को परेशानी हो रही है।
ऐसे में सरकार की ओर से इसका समाधान करने की मांग करते हुए ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र सरकार की हर घर जल, जल जीवन परियोजनाओं के तहत हम पेयजल वंचितों के लिए इसका कार्य किया जाना चाहिए। सभी जानते हैं कि जल ही जीवन है। लेकिन पेयजल को लेकर लापरवाही बरती जा रही है और काम बीच में ही रोक दिया गया है। उनकी शिकायत है कि संबंधित निकाय और सरकारी पक्ष भी पानी की समस्या को हल करने में विफल रहे हैं। हालांकि गांव वासियों ने उम्मीद है कि उनकी इस समस्या का समाधान होगा।
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