एसडीएफ की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आया निर्देश
गंगटोक । उच्चतम न्यायालय ने सिक्किम में बीते साल अक्टूबर में आए विनाशकारी आपदा में तीस्ता चरण-3 बांध की तबाही और जान-माल की भारी क्षति होने को लेकर एक स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग पर सिक्किम सरकार को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत का यह कदम विपक्षी एसडीएफ द्वारा दायर की गई जनहित याचिका के जवाब में आया है।
एसडीएफ के मुख्य प्रवक्ता एमके सुब्बा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस विकराल आपदा के घटित होने के बाद से ही आश्चर्यजनक रूप से मुख्यमंत्री पीएस गोले चुंगथांग में तीस्ता चरण-3 जल विद्युत परियोजना के नष्ट होने के लिए पिछली एसडीएफ सरकार को दोषी ठहराकर अपनी सरकार की जिम्मेदारियों से बच रहे थे। साथ ही उन्होंने ल्होनाक झील के टूटने की पहली सूचना रिपोर्ट प्राप्त होने के बारे में भी विरोधाभासी बयान दिए। इतना ही नहीं, आपदा के बाद जब अचानक आई बाढ़ के कारण आसपास के क्षेत्र में लोग गंभीर कठिनाई के दौर से गुजर रहे थे, तब भी प्रभावितों लोगों एवं क्षेत्रों की शीघ्र पुनर्बहाली, पुनर्वास और रोकथाम कार्यों में भी सरकार की कमी महसूस हुई।
उन्होंने कहा, ऐसे में 10 नवंबर को एसडीएफ अध्यक्ष पवन चामलिंग की ओर से मैंने मामले की सीबीआई जांच के लिए केंद्र के शीघ्र हस्तक्षेप की मांग करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा था। इसके अलावा देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने 4 दिसंबर के आदेश के माध्यम से तीस्ता चरण-3 बांध के विनाश और कई जान-माल के नुकसान की सीबीआई जांच की मांग के लिए सिक्किम उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता प्रदान की।
सुब्बा ने आगे बताया, इसके अलावा हमने एसकेएम सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों का जानबूझकर पालन न करने, दक्षिण ल्होनक झील और चुंगथांग के जोखिमपूर्ण स्पष्ट वर्गीकरण के साथ-साथ डाउनस्ट्रीम निपटान के बावजूद जानबूझकर कोई निवारक या रोकथाम उपाय नहीं करने की भी जांच करने की मांग की। उन्होंने कहा, जनहित याचिका में हमने सिक्किम सरकार से ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट बाढ़ के प्रबंधन और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण दिशानिर्देशों पर राष्ट्रीय योजना एवं नवंबर, 2019 के अनुपालन में अपडेटेड और समीक्षा की गई राज्य आपदा प्रबंधन योजना के साथ-साथ कई मुद्दों के संबंध में स्थिति रिपोर्ट मांगी। साथ ही जनहित याचिका में उच्च न्यायालय के समक्ष यह प्रार्थना की गई है कि सिक्किम सरकार को दक्षिण ल्होनाक झील आउटबर्स्ट के कारण हुई आपदा से प्रभावित परिवारों को प्रदान की गई राहत के लिए स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाए।
हालांकि, सिक्किम उच्च न्यायालय ने 7 दिसंबर के आदेश में जनहित याचिका की दलीलों और प्रार्थनाओं पर विचार किए बिना उसे खारिज कर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को स्पष्ट रूप से नजरअंदाज कर दिया। ऐसे में इस आदेश से व्यथित होकर हमने विशेष अनुमति याचिका दायर की जिसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने सिक्किम उच्च न्यायालय द्वारा पारित आक्षेपित आदेश के खिलाफ संज्ञान लेते हुए प्रसन्नता व्यक्त की और इस प्रकार सिक्किम सरकार को नोटिस जारी किया गया।
सुब्बा ने कहा, वास्तविकता यह है कि तीस्ता चरण-3 बांध की पूर्ण तबाही और जान-माल की भारी हानि बांध के निर्माण खामियों के कारण नहीं, बल्कि एसकेएम सरकार द्वारा राष्ट्रीय आपदा योजना और जीएलओएफ प्रबंधन पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशा निर्देश और बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के निवारक दिशा निर्देशों का जानबूझकर पालन न करने के कारण हैं। उनके अनुसार, एसकेएम सरकार सार्वजनिक हित और सुरक्षा के इतने महत्वपूर्ण मामले पर जनता को गुमराह करने के लिए वास्तविक तथ्यों और आंकड़ों को दबाने की खुलेआम कोशिश कर रही है।
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