गंगटोक, 03 नवम्बर । सिक्किम की मौजूदा स्थिति एवं सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) सरकार की दुर्नीतियों एवं भ्रष्टाचार को लेकर सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने एसकेएम पर बड़ा हमला बोला है।
पार्टी नेता कृष्ण खरेल ने कहा कि राजनीतिक मुद्दों को न समझने वाले अराजक नेताओं को देखकर आज सिक्किम का सिर शर्म से झुक जाता है। 25 वर्षों से भी दोगुनी धनराशि खर्च करने के बाद भी भौतिक विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं में शून्य प्रगति करने वाला अराजक समूह अब विपक्ष में अपने लिए मुद्दे ढूंढ रहा है। वास्तविकता यह है कि 52 हजार करोड़ की बजट राशि, 14 हजार करोड़ के कर्ज और कोरोना आर्थिक पैकेज का हिसाब देने में विफल रहने के बाद यह सरकार कुछ केंद्रीय योजनाओं को ही अपनी योजना बता कर खेल खेल रही है।
श्री खरेल ने कहा कि सिद्धांतों, नीतियों और योजनाओं के बगैर एसकेएम पार्टी ने राज्य में बाहरी पूंजीपतियों को निजी निवेश देकर इसे पूंजीपतियों का गढ़ बना दिया है। सरकारी संपत्तियों को बेचने, वनों की कटाई, संवैधानिक अनुच्छेद 14 के अनुसार राज्य अधिकारों एवं हमारी विशेष पहचान को मिटा कर अब घडि़याली आंसू बहा रहे हैं। उनके अनुसार, वर्तमान में राज्य में पूर्व की नि:शुल्क शिक्षा की नीति के उलट षडयंत्रकारी निजीकरण की नीति है, जिससे यहां कई निजी विश्वविद्यालयों को लाया गया है। सरकारी बजट राशि का दुरुपयोग करना और निजी निवेश के जरिये विकास का ढिंढोरा पीटकर लोगों की आंखों में धूल झोंकना एसकेएम का चरित्र है।
SDF नेता ने उल्लेख किया कि पूर्व की एसडीएफ सरकार ने राज्य को विकसित एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतु लोक कल्याण, बुनियादी ढांचा विकास, जैविक खेती, सामाजिक न्याय, गांवों में बीडीओ कार्यालय खोलने, गरीबों के लिए आवास, महिलाओं को समान अधिकार एवं अवसर प्रदान करने, औद्योगीकरण, पर्यटन विकास, मुफ्त स्वास्थ्य व शिक्षा, धार्मिक समानता, भाषा, साहित्य व परंपरा के समान विकास, मुफ्त बिजली, शिक्षकों के लिए सर्वोत्तम वेतन, राज्य के विशेष संवैधानिक अधिकारों व पहचान की पूर्ण गारंटी एवं कई अन्य विकासमूलक नीतियों को पेश किया है। लेकिन मौजूदा सरकार की अराजक टोली कानूनी शासन खत्म करने की अपनी महत्वाकांक्षा के साथ बढ़ रहे हैं। वे केवल बदहाल अर्थव्यवस्था के साथ लोगों की उपेक्षा करना, आर्थिक हेरफेर, धोखाधड़ी और साजिश रचना जानते हैं। वे समझते हैं कि लोगों को उन वादों और सपनों से मूर्ख बनाया जाना चाहिए जिन्हें वे पूरा नहीं कर सकते। इसके साथ ही धन के बल पर वे चुनाव जीत सकते हैं।
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