गंगटोक, 18 सितम्बर । हिमालयन जूलॉजिकल पार्क की ओर से सोमवार को पार्क के बुलबुले कॉन्फ्रेंस हॉल में बंदर बंध्याकरण कार्यक्रम आयोजन किया गया। इसको लेकर हिमालयन जूलॉजिकल पार्क वाइल्ड रेस्क्यू सेंटर (बुलबुली) द्वारा सिक्किम सरकार के वन, पर्यावरण और वन्यजीव विभाग और पशुपालन व पशु चिकित्सा सेवा विभाग के सहयोग से बंध्याकरण का प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बंदरों की बढ़ रही आबादी को कम करना है। हिमाचल प्रदेश द्वारा उठाए गए जवाबी उपायों का आकलन करना था, जो राज्य में संपत्ति को नुकसान और जीवन के लिए खतरा पैदा कर रहे थे। हिमाचल प्रदेश में भी बंदरों की आबादी से निपटने के लिए इस तरह का कदम उठाया गया था, राज्य में संपत्ति को नुकसान और जीवन के लिए खतरा पैदा कर रहे थे। उसी के तहत सिक्किम में भी बंदरों की नसबंदी के लिए अभियान चलाया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जनसंख्या की जांच के बाद 80 प्रतिशत प्राइमेट आबादी को बिना कोई शारीरिक नुकसान पहुंचाए, आबादी को नियंत्रित करना है। वन विभाग ने नसबंदी अभियान चलाने के लिए गंगटोक में तीन इलाकों की पहचान की है, जिसमें नामनांग-ताशिलिंग सचिवालय, डिचेनलिंग-ताशी व्यू प्वाइंट और देवराली-तादोंग खंड शामिल है। प्रशिक्षण कार्यक्रम 18 सितंबर से शुरू हुआ, जो 30 सितंबर को समाप्त होगा।
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य तय समय सीमा के अंदर तक गंगटोक और उसके आसपास 200 प्राइमेट्स को स्टरलाइज करना है। राज्य के मुख्य मुख्य वन्यजीव वार्डन (वन विभाग) श्री संदीप तानबे ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन में प्राइमेट की जनसंख्या गतिशीलता, बंदरों को पकड़ने की प्रमुख चुनौतियों और अन्य राज्यों द्वारा किये गए उपायों के बारे में प्रकाश डाला। इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि बंदरों को आम लोगों द्वारा खाना दिया जा रहा है, जिससे बंदर शहरी क्षेत्रों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों के लिए भोजन उपलब्ध कराने वाले राज्य के नागरिकों की भोजन की आदतों में व्यवहारिक परिवर्तन लाकर समस्या का समाधान किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विपिन कुमार ने पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से उपस्थित लोगों को प्रशिक्षित किया। उन्होंने राज्य में बंदरों के आक्रमण से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य द्वारा अपनाए गए तरीकों से अवगत कराया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिमालयन जूलॉजिकल पार्क के निदेशक श्री सांगे जी भूटिया, डीएफओ (वन्यजीव) सुश्री सोनम नॉर्डेन भूटिया, डीएफओ हिमालयन जूलॉजिकल पार्क सुश्री शिवानी प्रधान, डीएफओ वन विभाग श्री जिग्मी भूटिया, सेवानिवृत्त डीएफओ श्रीमती उषा लाचुंग्पा व हिमाचल प्रदेश के पशु चिकित्सा अधिकारी समेत अन्य पशुपालन अधिकारी और वन अधिकारी की मौजूदगी रही।
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