नामची : भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में चल रहे जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा समारोह के तहत आज तिमी-नाम्फिंग क्षेत्र के रुकुम टार स्थित गांगचुंग में तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आज समापन हुआ। इस समुदाय आधारित पर्यटन कार्यक्रम का उद्देश्य जीवंत जनजातीय विरासत और संस्कृति को उजागर करने के साथ ही देशभक्ति और एकता की भावना को बढ़ावा देना था।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तत्वावधान में तथा सिक्किम के पर्यटन व नागरिक उड्डयन विभाग के सहयोग से समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में तेमी-नाम्फिंग के विधायक बीएस पंथ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ, विज्ञान व प्रौद्योगिकी अध्यक्ष एनटी भूटिया, पर्यटन व नागरिक उड्डयन अध्यक्ष सोनम नोर्गे भूटिया, जल संसाधन अध्यक्षा खुश माया तमांग, क्षेत्रीय विधायक के ओएसडी प्रदीप तमांग, समाज कल्याण जनजातीय कार्य प्रभाग की अतिरिक्त सचिव बंदना छेत्री, उप सचिव चंकुला भूटिया, नामची सीडीपीओ लक्ष्मण तमांग, नामची के समाज कल्याण विभाग की महिला अधिकारी सोनम दादुल भूटिया एवं अन्य भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर विधायक पंथ ने राष्ट्र के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को आकार देने में जनजातीय नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के अमूल्य योगदान को याद करते हुए उनके द्वारा प्रस्तुत एकता, लचीलेपन और सांस्कृतिक पहचान के आदर्शों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, विधायक ने ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह के कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आभार व्यक्त करते हुए गांगचुंग जैसे गांवों में समुदाय-आधारित पर्यटन की अपार संभावनाओं पर भी जोर दिया। उन्होंने युवाओं को पर्यटन संबंधी गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए होमस्टे विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया, और आश्वासन दिया कि सरकार ऐसी पहलों को पूरा समर्थन देगी।
वहीं, अतिरिक्त सचिव वंदना छेत्री ने बताया कि वर्ष भर चलने वाला जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा 15 नवंबर, 2024 को शुरू हुआ और इस वर्ष 15 नवंबर तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस उत्सव का उद्देश्य भगवान बिरसा मुंडा को आदिवासी एकता और औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रतिरोध को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित करना और देश भर के आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाना है।
इससे पहले, मुख्य अतिथि ने आदिवासी समुदायों और स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा अपनी कला, शिल्प, हस्तशिल्प और व्यंजनों का प्रदर्शन करने के लिए लगाए गए पारंपरिक स्टालों का भी दौरा किया। कार्यक्रम में विभिन्न स्थानीय आदिवासी समूहों द्वारा पारंपरिक नृत्य-संगीत प्रदर्शन भी शामिल रहे। इसके अतिरिक्त, सामुदायिक आउटरीच पहल के हिस्से के रूप में स्थानीय लोगों के लिए मुफ्त चिकित्सा जांच और स्वास्थ्य परामर्श शिविर भी आयोजन किया गया।
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