गंगटोक : सिक्किम सरकार, पूर्वोत्तर परिषद और केंद्रीय कलकत्ता युवा विज्ञान एवं संस्कृति संगठन (सीसीएससीओवाई) के संयुक्त सहयोग से चिंतन भवन, गंगटोक में 27वें राष्ट्रीय एकता एवं युवा नेतृत्व शिविर का उद्घाटन किया गया। ‘विकसित भारत के लिए युवाओं को सशक्त बनाना’ विषय पर आयोजित शिविर का औपचारिक उद्घाटन मुख्य अतिथि, लोकसभा सांसद डॉ इंद्र हांग सुब्बा ने किया, जिन्होंने ध्वजारोहण भी किया।
इस कार्यक्रम में सिक्किम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ ज्योति प्रकाश तमांग विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। साथ ही देश भर से कई गणमान्य व्यक्ति और प्रतिभागी भी उपस्थित थे। अपने उद्घाटन भाषण में मुख्य अतिथि ने राष्ट्र को मजबूत बनाने में राष्ट्रीय एकीकरण और युवा सशक्तिकरण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने युवाओं में एकता, अनुशासन और नेतृत्व को बढ़ावा देने वाली पहलों की सराहना की। उन्होंने शिविर के आयोजन के लिए सीसीएससीओवाई के प्रति आभार व्यक्त किया तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने प्रतिभागियों को शिविर के विषयों, जिनमें अंतरिक्ष विज्ञान और भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन, साथ ही राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (एनईजीडी) द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग शामिल हैं, से पूरी तरह जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपनी रुचि के क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयास करें, समय बर्बाद किए बिना लगन से काम करें तथा बातचीत करते समय अपने राज्यों के विचारों और कानूनों को साझा करें।
व्यक्तिगत जिम्मेदारी के महत्व पर जोर देते हुए छात्रों से अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने, प्रतिनिधियों से सहयोग करने तथा शिक्षकों से योगदान देने का उन्होंने आग्रह किया गया। उन्होंने भारत के 22वें राज्य के रूप में सिक्किम के 50 वर्षों के विकास की प्रशंसा की और पूर्वोत्तर को राष्ट्र का विकास इंजन बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की योजनाओं पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, उन्होंने अपने जीवन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सिक्किम विश्वविद्यालय को भी धन्यवाद दिया तथा कहा कि इसने सीखने के लिए एक मंच प्रदान किया तथा अन्य राज्यों के छात्रों के साथ बातचीत करने से उन्हें व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद मिली।
अंत में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की एकता इसकी विविध संस्कृति में गहराई से निहित है। उन्होंने प्रतिभागियों को राष्ट्रीय एकीकरण और समझ को बढ़ावा देने के लिए सिक्किम और उसकी बोलियों को जानने के लिए प्रोत्साहित किया। इस कार्यक्रम में भारतीय सेना द्वारा जीवंत बैंड प्रदर्शन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाला एक उद्घाटन गीत और नृत्य भी शामिल था।
स्वागत भाषण राष्ट्रीय एकता शिविर के मुख्य महासचिव निमाई चंद्र प्रमाणिक ने दिया। पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर बसब चौधरी ने संगठन और इसके कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। विशिष्ट अतिथि सिक्किम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ ज्योति प्रकाश तमांग ने विकसित भारत 2047 के संदर्भ में राष्ट्रीय एकता और युवा नेतृत्व शिविर जैसे नेतृत्व शिविरों के महत्व पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य विज्ञान और संस्कृति के माध्यम से युवा दिमागों को प्रेरित करना है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद, क्योंकि प्रतिरक्षा और चिकित्सा में बदलाव पर ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रोफेसर डॉ ज्योति प्रकाश तमांग ने एथनो-माइक्रोबायोलॉजी की अवधारणा प्रस्तुत की तथा इसे नेतृत्व से जोड़ते हुए जिम्मेदार पारिवारिक सदस्यों और सामुदायिक योगदानकर्ताओं के रूप में व्यक्तियों की भूमिका निभाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि सामुदायिक विकास की परिणति मानवता को बढ़ावा देने में निहित है, जहां पारस्परिक सम्मान कायम रहता है। उन्होंने कक्षा 8-10 के विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे मांगों या समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय समाधान तलाशें तथा ऐसे नवीन विचार विकसित करें, जिन्हें सामाजिक मान्यता मिल सके। उन्होंने कहा कि जो लोग कुछ नया बनाते हैं, उनका अनुसरण किया जाता है। उनकी नकल नहीं की जाती।
उन्होंने 18-20 वर्ष की आयु के युवाओं को बड़े सपने देखने और रचनात्मक और प्रभावशाली विचारों को गढ़ने के लिए मोबाइल एप्लीकेशन सहित प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आज के प्रतिस्पर्धी युग में शैक्षिक विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा को बढ़ावा देकर युवा राष्ट्रवाद को एकीकृत करने और देश के समृद्ध भविष्य के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।
उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनईएसएसी) के अंतरिक्ष और वायुमंडलीय विज्ञान प्रभाग के प्रमुख डॉ श्याम एस कुंडू ने अंतरिक्ष विज्ञान और भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन पर एक अपने विचार रखे। इस कार्यक्रम में असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और सिक्किम के प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न स्कूलों के वैज्ञानिक, शिक्षक और संकाय सदस्य शामिल हुए। 24 से 31 दिसंबर तक आयोजित होने वाले सप्ताह भर चलने वाले इस शिविर में योग, आत्मरक्षा, संगीत और नृत्य पर प्रशिक्षण सत्रों के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण पर सेमिनारों का एक व्यापक कार्यक्रम शामिल होगा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम, करियर मार्गदर्शन और नेतृत्व विकास पर केंद्रित गतिविधियों की भी योजना बनाई गई है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय एकीकरण, कौशल निर्माण और टीम वर्क पर जोर दिया जाएगा, तथा जी-20, मिशन लाइफ और टिकाऊ पर्यटन जैसे प्रमुख विषयों पर प्रकाश डाला जाएगा। शिविर की गतिविधियां गंगटोक के पालजोर स्टेडियम में जारी रहेंगी, जो 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त होंगी।
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