 
                    गंगटोक : सिंगल यूज प्लास्टिक के व्यावहारिक समाधान को बढ़ावा देने की दिशा में राज्य के वन व पर्यावरण विभाग द्वारा पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहयोग से पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम के तहत बीते 7 अक्टूबर से आयोजित कार्यशाला का आज समापन हो गया। देवराली के साइडकेओंग तुलकु वन सभागार में ‘सतत जीवनशैली-सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्पों पर कौशल” विषयक इस तीन दिवसीय व्यावहारिक कार्यशाला में मंगन, पाकिम और गंगटोक जिलों के 30 स्कूलों के 150 छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया।
वन व पर्यावरण विभाग की विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यशाला में मजेदार व्यावहारिक गतिविधि के साथ सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए शून्य अपशिष्ट पहल पर ध्यान केंद्रित किया गया। गतिविधियों में प्लास्टिक और अन्य प्रकार के कचरे को उपयोगी बनाने, मिशन लाइफ-पर्यावरण के लिए जीवनशैली के उद्देश्यों के अनुरूप स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों से सजावटी और उपयोगी कलाएँ बनाने पर कौशल आदि शामिल थे।
कार्यशाला में गंगटोक की एनजीओ सिक्किम ब्लॉसम और विभाग के राज्य एनवीआईएस सेल के अधिकारी रिसोर्स पर्सन के रूप में उपस्थित थे। छात्रों और शिक्षकों ने इस कार्यक्रम में बहुत उत्साह के साथ भाग लिया और सर्वश्रेष्ठ स्कूल टीमों को पुरस्कार के रूप में हाथ से बने बांस के शिल्प भी दिए गए। कार्यशाला में व्यावहारिक, पर्यावरण के अनुकूल समाधानों पर जोर दिया गया, जिन्हें दैनिक जीवन में एकीकृत किया जा सकता है, जिससे प्रतिभागियों को अधिक टिकाऊ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
वहीं, इसमें “पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम” पर केंद्रित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें विजेताओं को पुरस्कार दिए गए। कार्यशाला में मुख्य वन संरक्षक कर्मा डी लेग्शे, संयुक्त निदेशक कुसुम गुरुंग, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी राजेन प्रधान और सूचना अधिकारी लक्ष्मण दर्नाल एवं अन्य उपस्थित थे।
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