जब किसान आगे बढ़ते हैं, तो राष्ट्र आगे बढ़ता है : पामिना लेप्चा

पाकिम : आईसीएआर-कृषि विज्ञान केंद्र, रानीपूल द्वारा राज्य कृषि, बागवानी, पशुपालन, एनआरसी-ऑर्किड्स और सीएयू-सीएईपीएचटी विभागों के सहयोग से आयोजित 15 दिवसीय विकसित कृषि संकल्प अभियान का पांचवां दिन आज जिले के पारखा ब्लॉक में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में नाथांग माचोंग की विधायक सह समाज कल्याण सलाहकार पामिना लेप्चा, जिलाध्यक्ष लादेन ल्हामू भूटिया के साथ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थी।

इस अवसर पर पामिना लेप्चा ने कृषि प्रगति पर विशेष जोर देते हुए जमीनी स्तर पर विकास को बढ़ावा देने में विभिन्न विभागों और संस्थानों के सामूहिक प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने विकसित कृषि, समृद्ध भारत अभियान के विजन पर प्रकाश डालते हुए विकसित भारत के सपने को एक आधुनिक, प्रगतिशील कृषि क्षेत्र के निर्माण में निहित बताया। उन्होंने राष्ट्रीय विकास में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए कहा, जब घर में प्रगति होती है, तो राष्ट्र आगे बढ़ता है और जब किसान आगे बढ़ते हैं, तो राष्ट्र आगे बढ़ता है।

इसके साथ ही, सिक्किम की उपभोक्ता-संचालित अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने अधिक उत्पादकता की ओर बदलाव का आह्वान किया। उन्होंने माता-पिता को अपने बच्चों को रचनात्मक और आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे युवा पीढ़ी में जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता बढ़े। वहीं, उन्होंने युवाओं से सरकार द्वारा प्रायोजित विस्तार कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल होने और कृषि क्षेत्र में सार्थक योगदान देने का आग्रह किया। वहीं, उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों की चिंताओं का जिक्र करते हुए उन्हें आश्वासन और व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने किसानों को खुली मानसिकता बनाए रखने और सरकारी पहलों के तहत उपलब्ध अवसरों का पूरा लाभ उठाने की सलाह दी।

इसके अलावा, पामिना लेप्चा ने समुदायिक कल्याण और सतत विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए नशीली दवाओं के खतरे से निपटने में उनके निरंतर प्रयासों के लिए जिला पुलिस की सराहना की।

कार्यक्रम में केवीके पूर्वी सिक्किम के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ प्रकाश शर्मा ने वीकेएसए के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए बताया कि यह खरीफ और रबी बुवाई मौसम से पहले साल में दो बार आयोजित किया जाता है ताकि फसल उत्पादन, मृदा स्वास्थ्य और संसाधन प्रबंधन को बढ़ाने के लिए समय पर क्षेत्र-स्तरीय मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके। उन्होंने वैज्ञानिकों और किसानों के बीच सीधे संवाद को बढ़ावा देने में पहल की भूमिका पर जोर दिया।

कार्यक्रम के दौरान, अतिरिक्त निदेशक और एनएफएसएम योजना प्रभारी डॉ प्रताप सुब्बा ने भी कृषि से संबंधित किसानों के प्रश्नों को संबोधित किया, जिसमें वन्यजीवों का खतरा, फसल हानि, जागरूकता और सरकारी योजनाओं तक पहुंच, फसल बीमा कवरेज और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को अपनाने जैसी चुनौतियां शामिल थीं। इसके बाद, अतिरिक्त पशुपालन निदेशक अंजला प्रधान ने डेयरी और सूअर पालन क्षेत्रों के तहत एएचएंडवीएस विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

कार्यक्रम में लाटुक चोचेनफेरी जीपीयू से 120 और लिंके परखा जीपीयू से 140 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में किसानों, वैज्ञानिकों और अधिकारियों के बीच एक चर्चा सत्र भी हुआ, जहां उन्होंने कृषि चुनौतियों पर चर्चा करते हुए विचारों का आदान-प्रदान किया। यह आउटरीच अभियान आगामी 12 जून तक जारी रहेगा, जिसमें जिले भर के विभिन्न जीपीयू शामिल होंगे।

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