sidebar advertisement

हमें पहला सम्मान अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए : राज्‍यपाल

गंगटोक। सिक्किम के राज्यपाल श्री लक्ष्मण आचार्य आज गंगटोक के चिंतन भवन में ‘ओपन स्कूलिंग एंड स्किल एजुकेशन बोर्ड ‘ द्वारा आयोजित काउंसिल ऑफ बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन इन इंडिया’ के 52 वें वार्षिक सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए जिसका विषय ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करना : स्कूल शिक्षा बोर्डों की भूमिका’ रखा गया था। यह सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के संबंध में समझ को बढ़ावा देने और इस पर विचार विमर्श के विषय पर केंद्रित रहा।

सभा को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा, कि ओपन स्कूलिंग एंड स्किल एजुकेशन बोर्ड द्वारा ‘नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में स्कूल शिक्षा बोर्डों की भूमिका’ जैसे गहन विषय को चुनना और उस पर विचार विमर्श करना नए भारत की, नई उम्मीदों की, नए आवश्यकताओं की पूर्ति का सशक्त माध्यम है। इस दौरान राज्यपाल ने सम्मेलन के आयोजकों की भी सराहना करते हुए बधाई दी। उन्होंने राज्य सरकार की शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिबद्धता की भी प्रशंसा की। राज्‍यपाल ने कहा कि ओपन स्कूल और कौशल शिक्षा बोर्ड ड्रॉप आउट बच्चों को अपनी पढ़ाई पूरी करने में पूल का काम कर रहा है जो किसी परिस्थितिवश अपनी पढ़ाई पूरी करने में चुनौतियों का सामना करते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं और संस्कृतियों में से एक है। यहां एक संगठित गुरुकुल प्रणाली फैली हुई थी और नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला आदि जैसे उच्च शिक्षा के कई विश्व प्रसिद्ध संस्थान थे, जहां छात्र अध्ययन करने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से आते थे। इस दौरान राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके कुशल अगुवाई में हमें नई शिक्षा नीति प्राप्त हुई है। एनईपी- 2020 भारत में शिक्षा के इतिहास में एक प्रमुख मील का पत्थर बनकर उभरी है जिसका उद्देश्य ही हमारे देश में शिक्षा प्रणाली को बदलना और सुधारना है।

राज्यपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बहुभाषा और मातृभाषा को सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए इस बात का उजागर किया कि मातृभाषा के बिना व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की उन्नति के विकास अधूरा है। मातृभाषा प्रत्येक व्यक्ति को उसके परिवार, समाज, प्रदेश और देश से जोड़ती है, उनके बीच समरसता स्थापित करती है। उन्होंने कहा कि भाषाएं हम चाहे जितनी सीख सकते हैं क्योंकि सभी में ज्ञान का भंडार है और न ही उन्हें सीखने में कोई बुराई है,लेकिन हमें पहला सम्मान अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए जो नयी शिक्षा निति का मूल विषय है।

आयजकों को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि सम्मलेन में किये गए सामूहिक विचार-विमर्श बोर्डों के साथ राज्य सरकारों के लिए भी बहुमूल्य सिद्ध होंगे जो हमारे प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में और नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए सहायक होगी। इस कार्यक्रम के दौरान ‘ओपन स्कूलिंग एंड स्किल एजुकेशन बोर्ड ‘, काउंसिल ऑफ बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन इन इंडिया’, के अध्यक्ष, शिक्षा विभाग की सचिव, बोर्ड्स के सदस्यगण, अधिकारीगण एवं बच्चों की उपस्थिति रही।

#anugamini #sikkim

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics