कोमल चामलिंग के खिलाफ अपशब्द कहना निंदनीय : एमएन दहाल

SDF ने चेताया- ऐसे कार्यों पर अंकुश नहीं लगा तो बिगड़ सकती है कानून व्यवस्था

गंगटोक : सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री तथा सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी (एसडीएफ) प्रमुख पवन चामलिंग की बेटी कोमल चामलिंग द्वारा दो दिनों पहले पार्टी के कार्यक्रम में सक्रिय राजनीति में आने की घोषणा पर सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा नेताओं द्वारा अपशब्‍द कहे जाने की एसडीएफ ने तीखी निंदा की है। इसके साथ ही एसडीएफ ने सरकार से ऐसे कार्यों पर तुरंत अंकुश न लगाने पर कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की चेतावनी भी दी है।

एसडीएफ के प्रभारी प्रचार उपाध्यक्ष एमएन दहाल ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 22 जून को उनकी पार्टी के 33वें अखिल भारतीय क्रांति दिवस समारोह में जब श्रीमती कोमल चामलिंग ने प्रत्यक्ष राजनीति में प्रवेश की घोषणा की, तो सत्तारूढ़ एसकेएम पार्टी में भारी हंगामा मच गया। सोशल मीडिया पर उनके तथाकथित बुद्धिजीवियों ने यथासंभव अपशब्द कहे। लेकिन, उन्हें यह नहीं पता कि राजनीति तर्क पर आधारित होनी चाहिए। सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ आधिकारिक प्रवक्ताओं और पदाधिकारियों ने जिस तरह से सोशल मीडिया पर एसडीएफ की महिला नेतृत्व कोमल चामलिंग और पार्टी अध्यक्ष पवन चामलिंग के खिलाफ बोला, उसकी पार्टी कड़ी निंदा और भर्त्सना करती है।

दहाल के अनुसार, ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के सम्मान को कमजोर करती हैं और यह भी ध्यान रखना चाहिए कि एसडीएफ में पवन चामलिंग अकेले नहीं हैं, उनके हजारों समर्थक और कार्यकर्ता हैं। ऐसे में पार्टी चेतावनी देती है कि अगर सरकार ने तुरंत ऐसी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया, तो कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही एसकेएम शासन में राज्य की मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए एसडीएफ नेता ने कहा, यह सर्वविदित है कि सिक्किम आज आर्थिक रूप से पंगु होता जा रहा है। राज्य सरकार के पास अवकाशप्राप्त कर्मचारियों को वेतन न दे पाने के कारण सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों को एक्सटेंशन देना पड़ रहा है। वहीं, कुछ पूंजीपतियों के साथ मिलकर खजाने में जो लूट मचाई गई है, वह भी दिन के उजाले की तरह साफ है।

वहीं, एसकेएम द्वारा अपने नेता पवन चामलिंग पर लगाये गये आरोपों के संबंध में दहाल ने कहा कि ऐसे अनर्गल और झूठे आरोपों से एसडीएफ पार्टी का आधार हिलने वाला नहीं है। अध्यक्ष चामलिंग पर जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें पहला यह है कि वे जातिवादी हैं। लेकिन, 1992 के बाद पैदा हुए आज के युवा यह समझें कि 1993 में पवन चामलिंग के नेतृत्व में लड़ी गई क्रांति सामाजिक न्याय के लिए थी। भारत सरकार द्वारा ओबीसी सूची जारी करने से पहले नर बहादुर भंडारी की सरकार थी और इसमें छेत्री और बाहुन, नेवार, जोगी, सन्यासी आदि को शामिल करने की राजनीतिक जिम्मेदारी उनकी ही थी। हालांकि, भंडारी एक सक्षम नेता थे, लेकिन ओबीसी सूची जारी होने के बाद उन्होंने सिक्किम में सिफारिश को लागू नहीं किया, जिससे सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष हुआ। उस समय, वर्तमान मुख्यमंत्री पी.एस. तमांग क्रांति की अग्रिम पंक्ति में थे।

इसे लेकर दहाल ने कहा कि एसडीएफ पार्टी सिक्किम के छेत्री-बाहुन समुदाय से आग्रह करती है, जो आज तक पवन चामलिंग पर जातिवादी होने का आरोप लगाते रहे हैं, कि वे अपने द्वारा पूछे गए सवालों की एक बार समीक्षा करें। उन्होंने सवाल किया, क्या सिक्किम की पिछड़ी जातियों को केंद्र सरकार से मिलने वाले ओबीसी के अधिकार नहीं मिलेंगे? क्या पवन चामलिंग के सत्ता में आने के बाद उच्च जाति को न्याय दिलाने के लिए राज्य की ओबीसी सूची में शामिल करना गलत था? उन्होंने आगे कहा, विभिन्न चुनावों से पहले और बाद में कुछ हत्या की घटनाएं हुई हैं। ऐसे लोग भी हैं जो उन घटनाओं के लिए भी अध्यक्ष चामलिंग को दोषी ठहराते हैं। वर्तमान में, एसडीएफ सत्ता में नहीं है। इसलिए, पार्टी तत्काल जांच की चुनौती देती है, लेकिन आरोप लगाने और राजनीति करने के खिलाफ बार-बार चेतावनी भी देती है।

दहाल ने 1999 के नामचेबुंग चुनाव के बाद हुई हिंसा का हवाला देते हुए कहा, हमारे नेता पवन चामलिंग पर उस घटना में शामिल होने का आरोप था और वास्तव में इसका आदेश किसने दिया था? उस समय दिवंगत बिनोद प्रधान वहां से चुनाव लड़ रहे थे और वर्तमान मुख्यमंत्री उनके बहुत करीबी थे। सरकार ने अब भी उस घटना में उनकी संलिप्तता के पीछे की सच्चाई की जांच की है और कार्रवाई की है। अगर एसडीएफ ऐसी जगह अदालत जाती है जहां कोई भी संतुष्ट नहीं है और पीड़ितों को न्याय मिलता है, तो वह इसका स्वागत करती है। इसके अलावा, एसडीएफ नेता ने छेत्री-बाहुन समुदाय से संबंधित कई अन्य मुद्दे उठाये सिक्किम के विलय के समय सिक्किमी नेपालियों की सूची में खस जाति का उल्लेख न होने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, लोकतंत्र में बहस और चर्चा जरूरी है। हम सभी को इन मुद्दों पर आपस में चर्चा करनी चाहिए और यदि कोई समस्या है तो उसका समाधान निकालना चाहिए।

दहाल ने कहा, पवन चामलिंग एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। 25 वर्षों तक मुख्यमंत्री रह चुके चामलिंग दिल्ली की मंशा को अच्छी तरह समझ सकते हैं। इसलिए उनकी मंशा जाति के हित में उत्पन्न होने वाली हर समस्या की जांच करना है। वर्तमान स्थिति में चूंकि भारतीय नेपालियों की समस्याओं को लेकर कोई मजबूत राष्ट्रीय स्तर का संगठन नहीं है, इसलिए उनकी दूरदर्शी सोच यह है कि यदि जाति जनगणना से पहले जाति के हित में संगठित तरीके से काम नहीं किया गया तो समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि एसडीएफ पार्टी ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लाभ के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे पक्षपात के सभी आरोपों की उचित समीक्षा और संशोधन करें।

इसके साथ ही, एसकेएम को चुनौती देते हुए दहाल ने कहा, एसडीएफ पार्टी सरकार को चुनौती देती है कि अगर उनके खिलाफ कोई आरोप हैं तो वह उनके खिलाफ प्रशासनिक और न्यायिक कार्रवाई करे। पार्टी का मानना है कि उनके खिलाफ दिए गए आक्रामक बयानों के कारण समाज में जो भी विचलन पैदा होगा उसकी जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।

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