राज्य में जनजातीय समुदाय काफी उपेक्षित : लेप्चा

सीएपी केंद्रीय कार्यकारिणी परिषद की दो दिवसीय बैठक संपन्न

गंगटोक : सिटीजन एक्शन पार्टी (सीएपी) की केंद्रीय कार्यकारिणी परिषद की दो दिवसीय बैठक रानीपुल में आयोजित की गई।

बैठक के संबंध में जानकारी देते हुए सीएपी के जनजाति कल्याण परिषद अध्यक्ष ओंगदेन छिरिंग लेप्चा ने सीएपी केंद्रीय कार्यकारी परिषद के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी ने हमें जनजाति कल्याण परिषद के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया। परिषद जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण, अधिकार सुनिश्चितता और न्यायसंगत समावेशिता की दिशा में लगातार अनुसंधान, दस्तावेजीकरण और नीति वकालत अभियान चला रही है, जिन्हें सिक्किम राज्य के सामाजिक ताने-बाने में ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित किया गया है।

लेप्चा ने कहा कि यह रिपोर्ट प्रदेश की वर्तमान जनजातीय चिंताओं का व्यापक मूल्यांकन प्रस्तुत करती है, जिसमें चिंताजनक स्थितियां, तथ्यात्मक विश्लेषण और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से तैयार किए गए प्रस्तावित समाधान शामिल हैं। वर्तमान में सिक्किम में केन्द्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 13 अनुसूचित जनजातियां हैं। हालांकि विशिष्ट ऐतिहासिक, भाषाई और सांस्कृतिक पहचान वाले लगभग एक दर्जन अन्य समुदायों को अभी भी संवैधानिक मान्यता से वंचित रखा गया है। ये समुदाय संविधान में निहित मौलिक अधिकारों, आरक्षण और सामाजिक सुरक्षा जैसे राज्य और केंद्र की नीतियों और कार्यक्रमों से स्वतः ही बाहर हो जाते हैं। यह स्थिति सामाजिक न्याय की मूल भावना को चुनौती देती है। इस संदर्भ में परिषद ने ऐतिहासिक दस्तावेजों, सांस्कृतिक साक्ष्यों और जनसांख्यिकीय तथ्यों के आधार पर एक व्यापक अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने का कार्य पहले ही शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश एवं केंद्र सरकारों को ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी तथा सांसदों, विधायकों एवं अन्य संवैधानिक निकायों के साथ सीधा संवाद एवं संस्थागत वकालत में तेजी लाई जाएगी। हमारा मुख्य अभियान संविधान की भावना के अनुरूप सामाजिक न्याय बहाल करना होगा, जिसमें जनजातीय पहचान से वंचित समुदाय भी शामिल होंगे। जनजातीय सब प्लान (टीएसपी) के तहत आवंटित बजट को संवैधानिक रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, कृषि, कौशल विकास और जनजातीय समुदाय के समावेशी उत्थान के लिए लक्षित किया जाना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से 2024 के बजट सत्र में इस धनराशि का उपयोग गौपालकों द्वारा दूध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए करने का प्रस्ताव किया गया है, जो न तो लक्षित समूह के अनुरूप है और न ही संविधान की भावना के अनुरूप है। गौपालकों ने स्वयं स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्हें राज्य सरकार द्वारा घोषित कोई सहायता नहीं मिली है। यह प्रस्ताव अपने आप में जनजाति अधिकारों में हस्तक्षेप है। बजट आवंटन में पारदर्शिता की कमी, निर्णय लेने की प्रक्रिया में जवाबदेही की कमी और लक्ष्यहीन कार्यान्वयन के तरीकों ने राज्य की नीति-संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

उन्होंने कहा कि परिषद इस पर स्पष्ट निगरानी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। बजट पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नागरिक जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। इसके अतिरिक्त परिषद की प्राथमिकता विभागीय स्तर पर गंभीर अनियमितताओं, सत्ता के दुरुपयोग और गैर-जिम्मेदाराना निर्णयों के विरुद्ध जन दबाव और संस्थागत प्रतिकार तैयार करना होगा। हमारे सामने वास्तविकता यह है कि 2024 में दक्षिण लोनार्क झील के फटने और उसके बाद आई जीएलओएफ ने उत्तरी सिक्किम में जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। पुल, सड़कें और आवासीय बस्तियां नष्ट हो गईं; मंगन से चुंगथांग तक का क्षेत्र अभी भी ठोस बुनियादी ढांचे, संचार सेवाओं और नियमित परिवहन नेटवर्क से वंचित है। स्थानीय मीडिया ने तो एक महिला की आत्महत्या की भी पुष्टि की है। यह त्रासदी न केवल प्राकृतिक है, बल्कि मनोवैज्ञानिक और सामाजिक भी है।

उन्‍होंने कहा कि इतना ही नहीं, तीस्ता हाइड्रो स्टेज-3 जैसी क्षमता से दोगुनी हो रही जलविद्युत परियोजनाओं से भविष्य में पर्यावरण संतुलन और भी जटिल होने की प्रबल संभावना है। दो वर्षों के भीतर स्थायी पुल का निर्माण न कर पाना प्रांतीय सरकार की आपातकालीन तैयारियों और पुनर्निर्माण नीति-संवेदनशीलता पर गंभीर प्रश्न उठाता है। परिषद का दृष्टिकोण स्पष्ट है। यह आवश्यक है कि आपातकालीन तैयारी नीति में जनजातीय समुदायों की विशेष चिंताओं को शामिल किया जाए। पुनर्निर्माण प्रक्रिया में स्थानीय श्रमिकों, स्थानीय निर्माण सामग्री और स्थानीय सलाहकारों को प्राथमिकता देना प्रांतीय सरकार का कर्तव्य है। परिषद ने पहले ही संसदीय समिति के माध्यम से राज्य सरकार को जवाबदेह ठहराने के अभियान को संस्थागत बनाने का निर्णय ले लिया है। आने वाले वर्षों के लिए परिषद की कार्य योजना स्पष्ट, परिणामोन्मुखी और दूरदर्शी होगी।

लेप्‍चा ने कहा कि इसका लक्ष्य संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार अगले 12 महीनों के भीतर हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए अनुसूचित जनजाति मान्यता पहल को पूरा करना है। टीएसपी के तहत बजट आवंटन की प्रभावशीलता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए 6 से 12 महीनों के भीतर प्रांतीय स्तर पर जन जागरुकता और दबाव अभियान शुरू किया जाएगा। उत्तरी सिक्किम के जीएलओएफ प्रभावित क्षेत्रों में परिवहन, संचार और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए ठोस वकालत तुरंत शुरू की जाएगी। इसी प्रकार जनजातीय समुदायों के युवाओं को शिक्षा, कौशल और उद्यमिता में प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे, जो दीर्घकालिक सशक्तिकरण की नींव रखेंगे।सीएपी सिक्किम के अंतर्गत संचालित जनजातीय कल्याण परिषद न केवल समस्या की पहचान करने वाला संगठन है, बल्कि नीति-निर्माण में समाधान केंद्रित, साक्ष्य आधारित और शक्तिशाली हस्तक्षेप करने वाला संगठन भी है। सिक्किम की सामाजिक संरचना तभी न्यायसंगत हो सकती है जब सभी जातियों को समान अवसर, समान सम्मान और समान भागीदारी के साथ एकीकृत किया जाएगा। उन्होंने पूरे पार्टी नेतृत्व, पूरे कैडर और पूरे नागरिक समाज से इस अभियान में भाग लेने और एक सिक्किम-समावेशी सिक्किम के मूल मंत्र को साकार करने का आह्वान किया है।

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