सोरेंग । केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत सांगदोर्जी जीपीयू के स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सक्षम बनाने हेतु घरेलू शिल्प विकसित करने के लिए सांगादोर्जी वन धन विकास केंद्र में हल्दी और अदरक मसाला पाउडर निर्माण एवं पैकेजिंग का दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आज पूरा हो गया। केंद्रीय खनन एवं भूतत्व विभाग तथा राज्य में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग इस योजना के नोडल विभाग हैं, जबकि सहकारिता विभाग द्वारा इस योजना का कार्यान्वयन एवं निगरानी किया जा रहा है।
आज प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में रिंचेनपोंग विधानसभा के निवर्तमान सीएलसी अध्यक्ष जितहांग सुब्बा उपस्थित थे। उनके साथ जिला सहकारिता विभाग के संयुक्त रजिस्ट्रार रतन हांग सुब्बा और एआरसीएस शिशिर राज गुरुंग और अन्य सहयोगी, सांगादोर्जी वन संपदा विकास केंद्र की अध्यक्ष कविता लेप्चा, पंचायत अध्यक्ष डावगे लेप्चा और अन्य पंचायत सदस्य, सांगादोर्जी वीडीवीके प्रबंधक विष्णु चामलिंग, प्रशिक्षु, छात्र एवं अन्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर सहकारिता विभाग के संयुक्त जिला रजिस्ट्रार रतन हांग सुब्बा ने बताया कि प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत समूचे सिक्किम में 80 और सोरेंग जिले में 8 स्थानों पर यह प्रशिक्षण संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना में 60 प्रतिशत लाभार्थी आदिवासी समुदाय से आते हैं।
कार्यक्रम में जेमित लेप्चा ने अपने प्रशिक्षण के अनुभव साझा किये तथा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि द्वारा सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किये गये। वीडीवीके सांगादोर्जी प्रबंधक विष्णु चामलिंग द्वारा संचालित कार्यक्रम को अन्य अतिथियों ने भी संबोधित किया।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री वन धन योजना और वन धन विकास योजना जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत केंद्र सरकार द्वारा 2019 में देश भर में शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका उद्देश्य देश में जनजातीय समुदाय के लोगों की आजीविका में सुधार करना है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जनजातीय लोगों के उत्पादन को बढ़ाकर, उन्हें प्रशिक्षित करके और उनकी क्षमता का निर्माण करके वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान कर ग्रामीणों की आय में भी वृद्धि करना है। साथ ही इसका उद्देश्य वनों और जैव विविधता की रक्षा करना भी है।
केंद्र सरकार ने इस योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया को तीन स्तरों में विभाजित किया है। इसमें ग्राम स्तर पर वन संपदा विकास केंद्र, क्लस्टर स्तर पर वन संपदा विकास सुरक्षा समिति और जिला स्तर पर वन संपदा विकास समूह का गठन शामिल है।
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