विधानसभा में नेपाली सीटों के बहाल होने की कोई संभावना नहीं : पवन चामलिंग

गंगटोक : सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी (एसडीएफ) सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए कहा कि सिक्किम विधानसभा में नेपाली सीटों के बहाल होने की कोई संभावना नहीं है। उनके मुताबिक देश के संविधान में किसी भी जाति के नाम पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है।

उन्होंने यह बयान आज राजधानी के इंदिरा बाईपास स्थित एसडीएफ के मुख्यालय में पार्टी के वार्षिक कार्यक्रम समृद्ध क्रांति दिवस को संबोधित करते हुए दिया। उनके मुताबिक अब जबकि देश की सर्वोच्च अदालत ने राज्य के पुराने निवासियों यानी पुराने बसने वालों को मान्यता दे दी है, ऐसे में अगर नेपाली सीटों की बहाली की मांग होगी तो पुराने बसने वालों के लिए भी सीटों के आरक्षण की मांग होगी।

पवन चामलिंग ने कहा, फिलहाल राज्य में तीन पार्टियां एसकेएम, भाजपा और भाजपा की नंबर दो (सीएपी सिक्किम) नेपाली सीटों को लेकर बात कर रही हैं। अब अगर हम नेपाली सीटें ले आएं तो क्या होगा? अगर नेपालियों को जाति के आधार पर सीटें मिलती हैं तो पुराने बसने वालों को क्यों नहीं मिलेगी? उन्हें भी मिलनी चाहिए। वे भी भारतीय नागरिक हैं। 13 जनवरी 2023 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या कहता है? इसमें कहा गया है कि सिक्किम में स्थायी रूप से रहने वाले सभी भारतीय सिक्किम के मूल निवासी हैं। अब मूल निवासी कौन हैं? भूटिया, लेप्चा और नेपाली, पुराने बसने वालों के साथ अब मूल निवासी हो गए हैं। उसके आधार पर सभी को आयकर से छूट दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के आधार पर वित्त अधिनियम 2023 बनाया गया है। उनमें अंतर कैसे किया जा सकता है? इस कानून के अनुसार, सभी एक समान हैं। इसलिए, अगर अब कोई नेपाली सीट मांगने जा रहा है, तो उसे नेपाली सीट-ओल्ड सेटलर्स सीट के रूप में मांगनी चाहिए।

इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि एसडीएफ पार्टी की सरकार सिक्किम विधानसभा में भूटिया और लेप्चा की आरक्षित सीटों को संवैधानिक रूप से संरक्षित करने के साथ-साथ लिम्बू और तमांग को आदिवासी सीटें देने और नेपाली सीटों को बहाल करने के लिए बर्मन आयोग की रिपोर्ट लेकर आई है, जिसे वर्तमान सत्तारूढ़ एसकेएम पार्टी ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अन्य राजनीतिक दलों ने भी एसडीएफ सरकार की बर्मन आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। उनके अनुसार जो लोग अब कह रहे हैं कि वे नेपाली सीटें देंगे, उन्होंने वास्तव में कहा है कि वे नेपाली सीटें नहीं देंगे। चामलिंग ने कहा कि भारतीय संविधान में जाति के आधार पर सीटें मिलने का कोई प्रावधान नहीं है। सिक्किम में 1978 में ट्राइबल ऑर्डर के तहत 1978 तक जाति के नाम पर सीटें दी जाती थीं। वह समय बीत चुका है। सब कुछ समय पर होता है।

इसी तरह पवन चामलिंग का दावा है कि लिम्बू और तमांग जातियों के लिए आदिवासी सीटों का आरक्षण, जो लंबे समय से राज्य विधानसभा में लंबित है, अब संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि लिम्बू और तमांग को राज्य विधानसभा में आदिवासी सीट आरक्षण इसलिए नहीं मिल रहा है लिंबू और तमांग को 2018 में ही आदिवासी सीट आरक्षण मिल गया था, लेकिन उस समय विपक्ष में रहते एसकेएम पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में केस कर उसे रुकवा दिया। हालांकि, चुनाव में एसडीएफ सरकार ने दुष्प्रचार किया कि हमने आरक्षण रोक दिया है। उसने सत्ता में आने के 10 दिनों के भीतर सीटें देने का वादा किया था, लेकिन 7 साल बाद भी वह सीटें नहीं दे पाई है। जब तक मामले की सुनवाई नहीं हो जाती, मुझे लिंबू और तमांग को सीटें मिलना मुश्किल लगता है। लेकिन यह सरकार इस बारे में बात नहीं करती है क्‍योंकि उसने खुद ही लिंबू तमांग का सीट आरक्षण बाधित किया है।

#anugamini #sikkim

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

National News

Politics