गंगटोक : हिमालयी राज्य सिक्किम में पिछले कुछ वर्षों में आत्महत्या के मामलों में भारी वृद्धि दर्ज की गयी है।
एक आंकड़े के अनुसार, राज्य में पिछले 731 दिनों में आत्महत्या के कुल 518 मामले सामने आये हैं जो बेहद चिंताजनक हैं। भारत में जनसंख्या और क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे छोटे राज्यों में से एक सिक्किम में देश में यह सबसे अधिक आत्महत्या दर है। रिपोर्टों से पता चलता है कि बेरोजगारी, पारिवारिक मामले, पुरानी बीमारी, नशे की लत, वैवाहिक मुद्दे, वित्तीय संकट आदि आत्महत्याओं के प्रमुख कारणों में से हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिक्किम में 2022 में देश में सबसे अधिक 43.1 प्रतिशत आत्महत्या दर के साथ 293 मामले दर्ज किए गए। इनमें से बेरोजगारी को एक प्रमुख कारण बताया गया, जिसके कारण 83 आत्महत्याएं हुईं। वहीं, अगले दो वर्षों, 2023 और 2024 में आत्महत्याओं की संख्या में मामूली गिरावट देखी गई, लेकिन इस तथ्य को नजऱअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि ये आंकड़े चिंताजनक रूप से उच्च बने रहे।
सिक्किम पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अकेले 2024 में आत्महत्याओं की संख्या 247 थी। यह 2023 की तुलना में कमी दर्शाता है, जिसमें आधिकारिक आंकडों के अनुसार आत्महत्याओं की दर्ज संख्या 271 थी।
आत्महत्या दर यानी प्रति एक लाख आबादी पर आत्महत्याओं की संख्या – 2023 में 39.16 प्रतिशत और 2024 में 35.45 प्रतिशत थी, जबकि एनसीआरबी 2022 के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय औसत 12.4 प्रतिशत है। ऐसे में चिंताजनक रुप से सिक्किम की आत्महत्या दर तुलनात्मक रूप से अधिक है, जो सामाजिक और सरकारी हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता का संकेत देती है।
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