मंगन : अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 पर गुरुवार को एक दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम, नामोक स्वयम जीपीयू के रवि पंचायत कार्यालय में आयोजित किया गया। समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुदाय को इस महत्वपूर्ण कानून के प्रावधानों और महत्व के बारे में शिक्षित करना था।
कार्यक्रम में नामोक स्वयम जीपीयू के जिला और वार्ड पंचायत सदस्य, एसडीएम अभिजीत आर पाटिल, एएसपी मणि कुमार तमांग, अतिरिक्त निदेशक, समाज कल्याण (गंगटोक) महेश शर्मा, उप निदेशक (गंगटोक) राम कुमार तमांग, कल्याण अधिकारी गणेश थापा, पैनल अधिवक्ता (डीएलएसए) सुश्री सोनम फूटी भूटिया, समाज कल्याण विभाग के कर्मचारी और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति थी। कल्याण अधिकारी गणेश थापा ने अपने स्वागत भाषण में विषय का संक्षिप्त परिचय देते हुए इसके महत्व और प्रासंगिकता पर बल दिया।
पैनल अधिवक्ता सुश्री सोनम फूटी भूटिया ने अधिनियम के बारे में विस्तार से बताया तथा शारीरिक एवं भावनात्मक दुर्व्यवहार, जबरन श्रम, तथा सार्वजनिक सेवाओं एवं बुनियादी ढांचे तक पहुंच से वंचित करने के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत अपराध की गंभीरता के आधार पर छह महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। सुश्री भूटिया ने स्पष्ट किया कि इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य समुदायों के व्यक्ति भी हो सकते हैं।
एएसपी मणि कुमार तमांग ने पुलिस विभाग की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर चर्चा की तथा ऐसे मामलों से संबंधित विभिन्न कानूनों और प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने संशोधित आपराधिक कानूनों पर भी चर्चा की तथा कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) तथा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) लागू किया गया है।
एसडीएम अभिजीत आर पाटिल ने अधिनियम के महत्व को रेखांकित करते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 का हवाला दिया, जो धर्म, जाति, वंश, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकता है। उन्होंने प्रशासन, राजनीति और उच्च शिक्षा जैसे यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए उपलब्ध व्यापक आरक्षण पर प्रकाश डाला। इन अवसरों का उपयोग करने के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने व्यक्तियों को सक्रिय रूप से इन लाभों की तलाश करने और उनका लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रावधान ऐतिहासिक सामाजिक-आर्थिक अंतर को पाटने तथा सभी क्षेत्रों में समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए पेश किए गए थे। उन्होंने कहा कि इन लाभों का लाभ उठाना न केवल एक अधिकार है, बल्कि यह हमारे समुदायों को मजबूत बनाने और अधिक समतापूर्ण समाज सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है।
युवाओं में नशीली दवाओं और शराब पर बढ़ती निर्भरता की चिंता को संबोधित करते हुए एसडीएम ने समुदाय से सामूहिक रूप से इस मुद्दे से निपटने की अपील की। उन्होंने नशा मुक्त भारत अभियान के उद्देश्यों के साथ तालमेल बिठाते हुए समय पर हस्तक्षेप और परामर्श के महत्व पर जोर दिया।
यह अभियान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा देश भर में मादक द्रव्यों के सेवन से निपटने के लिए 15 अगस्त 2020 को शुरू किया गया था। कल्याण निरीक्षक सुमन थापा ने 2018 एम्स सर्वेक्षण का हवाला दिया, जिसमें सिक्किम में नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन की उच्च व्यापकता का खुलासा किया गया, विशेष रूप से 10-17 वर्ष की आयु के बच्चों में। उन्होंने इस ज्वलंत मुद्दे के समाधान के लिए जागरुकता अभियानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में युवाओं की भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम के दौरान संसाधन व्यक्तियों ने श्रोताओं से बातचीत की तथा उनके प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
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