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राज्य के 12 छूटे समुदायों को जनजाति का दर्जा देने का मामला : उच्चस्तरीय समिति ने शोध सहायकों के लिए कार्यशाला का किया आयोजन

गंगटोक : सिक्किम के 12 छूटे हुए समुदायों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने की दिशा में सिक्किम राज्य उच्च स्तरीय समिति द्वारा सोमवार को यहां शोध सहायकों के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसका उद्देश्य छूटे हुए सामुदायिक संगठनों द्वारा नियोजित शोध सहायकों को आवश्यक कौशल और पद्धतियों से लैस करना था, जिससे कि वे इस संदर्भ में अपने शोध योगदान को मजबूत कर सकें। इस कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों से आए 40 से अधिक शोधकर्ताओं ने भाग लिया।

एसएसएचएलसी उपाध्यक्ष प्रोफेसर महेंद्र पी लामा की अध्यक्षता में हुई इस कार्यशाला में प्रो संध्या थापा, डॉ एसके राई, प्रो नूपुर तिवारी (ऑनलाइन), प्रो एबी ओटा (ऑनलाइन), प्रो एस चक्रवर्ती (ऑनलाइन) और प्रो सरित चौधरी (ऑनलाइन) शामिल हुए। साथ ही, इसमें समाज कल्याण विभाग की सचिव सह एसएसएचएलसी की सदस्य सचिव सारिका प्रधान, छूटे हुए समुदायों के प्रतिनिधि, ईआईईसीओएस+1 के सदस्य एवं अन्य ने भी शिरकत की।

गौरतलब है कि यह कार्यशाला विगत 10 फरवरी को राजधानी नई दिल्ली में आयोजित दूसरी बैठक के दौरान मुख्यमंत्री को एसएसएचएलसी द्वारा प्रस्तुत मसौदा रिपोर्ट में पहचाने गए महत्वपूर्ण अंतरालों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर एसएसएचएलसी उपाध्यक्ष प्रो. महेंद्र पी लामा ने आगे के सर्वेक्षण करने और डेटा एकत्र करने की कार्ययोजना की रूपरेखा प्रस्तुत की, जो लोकुर समिति द्वारा निर्धारित पांच मानदंडों के अनुरूप है। उन्होंने एसटी सूची में उनके समावेश को प्रमाणित करने के लिए प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक संसाधनों, अद्वितीय रीति-रिवाजों, परंपराओं और विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए विस्तृत साक्ष्य एकत्र करने के महत्व पर बल दिया।

इस दौरान, सत्रों में शोध पद्धतियां, नैतिक विचार, क्षेत्र सर्वेक्षण करने के उपकरण और व्यापक अध्ययन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न संस्थानों के साथ सहयोग जैसे मौलिक विषयों पर चर्चा हुई। समिति के सदस्य प्रो नूपुर तिवारी, प्रो. संध्या थापा, प्रो सरिता चौधरी, प्रो एबी ओटा, डॉ सत्यव्रत चक्रवर्ती और डॉ एसके राई ने निर्धारित समय सीमा के भीतर अनुसंधान को क्रियान्वित करने के रोडमैप पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

इससे पहले, समिति की सदस्य सचिव श्रीमती सारिका प्रधान ने अपने स्वागत भाषण में शोध सहायकों को पर्याप्त कड़े और विस्तृत प्रमाणों के साथ डेटा संग्रह और विश्लेषण करने में सक्षम बनाने के लिए कार्यशाला के महत्व पर जोर दिया।

कार्यशाला के दौरान, चर्चाओं में प्रतिभागियों को एसएसएचएलसी सदस्यों के साथ जुड़ने और अपने शोध दृष्टिकोण को परिष्कृत करने का मौका मिला। बताया गया है कि अब समुदायों द्वारा नियुक्त प्रशिक्षित शोध सहायकों द्वारा आगे का फील्डवर्क और विस्तृत शोध किया जाएगा, ताकि एसटी सूची में शामिल करने के लिए एक अच्छी तरह से प्रलेखित और न्यायोचित प्रस्तुति सुनिश्चित की जा सके।

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