संचमान लिंबू गवर्नमेंट कॉलेज में विशेष वार्ता आयोजित

कई जाने माने शिक्षाविद हुए शामिल

गेजिंग : गेजिंग के संचमान लिंबू गवर्नमेंट कॉलेज ने सिक्किम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के सहयोग से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय विकास अध्ययन केंद्र के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो रवि श्रीवास्तव द्वारा एक विशेष वार्ता आयोजित की।

“पूर्वोत्तर पहाड़ी राज्यों में विकास की चुनौती” विषयक इस व्याख्यान में कई प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने भाग लिया, जिनमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की पूर्व प्रोफेसर और वर्तमान में दिल्ली के मानव विकास संस्थान में विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. निशा श्रीवास्तव शामिल थीं। कार्यक्रम में सिक्किम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अब्दुल हन्नान और अर्थशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश राज नटराजन भी अन्य उल्लेखनीय शख्सियत के रुप में शामिल हुए। उनके अलावा, कार्यक्रम में कॉलेज के राजनीति विज्ञान के स्नातकोत्तर छात्र; भूगोल, अर्थशास्त्र, वाणिज्य एवं राजनीति विज्ञान विभागों के छठे सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया।

संचमान लिंबू गवर्नमेंट कॉलेज की भूगोल विभाग की सहायक प्रोफेसर और कार्यक्रम समन्वयक श्रीमती कर्मा चोडेन भूटिया के स्वागत भाषण से शुरु हुए कार्यक्रम में प्रो श्रीवास्तव ने पूर्वोत्तर की विशिष्ट भौगोलिक, जनसांख्यिकीय और सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप संदर्भ-विशिष्ट, समावेशी और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ विकास मॉडल की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें इसकी भू-आबद्ध भौगोलिक स्थिति, दूरस्थता, जातीय विविधता और केंद्रीय राजकोषीय हस्तांतरण पर निर्भरता शामिल है।

साथ ही, प्रो श्रीवास्तव ने कम प्रति व्यक्ति आय, पिछड़ा मानव विकास सूचकांक, उच्च युवा बेरोजगारी, घटते शैक्षिक परिणाम और बढ़ते डिजिटल विभाजन जैसे लगातार मुद्दों की ओर भी इशारा किया। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए प्रो. श्रीवास्तव ने रणनीतिक सिफारिशें प्रस्तुत कीं। इनमें कृषि को बढ़ावा देना, एमएसएमई एवं उद्यमिता का समर्थन, डिजिटल एवं व्यावसायिक कौशल बढ़ाना, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील पर्यटन विकसित करना और ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण को आगे बढ़ाना शामिल रहे।

इसके अलावा, प्रो श्रीवास्तव ने पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों में समावेशी और लचीले विकास को आगे बढ़ाने के लिए विकेंद्रीकृत योजना, प्रभावी शासन और स्थानीय शक्तियों के उपयोग के महत्व को भी रेखांकित किया।

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