गंगटोक : सत्ताधारी क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी पर परिवारवाद की नीति का विरोध और महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के बड़े-बड़े झूठे वादे कर सत्ता में आने का आरोप लगाते हुए सिटीजन एक्शन पार्टी-सिक्किम ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किये हैं।
सीएपी-सिक्किम की महिला कल्याण परिषद अध्यक्ष बीना शर्मा ने एक विज्ञप्ति में कहा कि परिवारवाद के विरोध और महिला आरक्षण के वादे के साथ 2009 से एसकेएम सरकार सत्ता में आने में सफल रही। लेकिन 2009 से 2019 तक सत्ताधारी पार्टी के नेता ने सिर्फ एक महिला को टिकट देने के साथ-साथ परिवार के हर सदस्य को सरकार और पार्टी में ऊंचे पद देकर अपने गलत इरादों का सबूत दिया है। इतना ही नहीं, 2024 के पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग एवं उनकी पत्नी श्रीमती कृष्णा राई ने तीन सीटों पर कब्जा किया। हालांकि, चुनाव परिणामों के बाद मुख्यमंत्री ने अपनी पत्नी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया और सोरेंग च्याखुंग विधानसभा सीट अपने बेटे आदित्य के लिए सुरक्षित कर ली। लेकिन, हर कोई जानता है कि गोले के लिए जीत की गारंटी न होने के कारण ही उन्होंने ऐसा किया। बहरहाल, वर्तमान में राज्य में खुल कर बोलने लायक माहौल न होने के कारण ही फिलहाल लोग चुप हैं।
सीएपी नेता ने सवाल खड़ा करने हुए कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च कर श्रीमती कृष्णा राई के जीतने के बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए क्यों मजबूर किया गया और सत्ता पक्ष ने दूसरे उम्मीदवार को कैसे चुन लिया? विधानसभा में चार महिलाओं को जगह देने का दावा करके जीतने वाली महिला को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर उसके स्थान पर एक पुरुष उम्मीदवार को क्यों खड़ा किया? परिवार की एक महिला सदस्य को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करना और परिवार के ही एक पुरुष सदस्य को दूसरे क्षेत्र से ले जाने का मुख्यमंत्री का यह कदम कितना उचित है?
इसके अलावा, सीएपी नेता ने कहा कि जब विधानसभा के अंदर ही महिलाओं की स्थिति पुरुष तय करते हैं तो विधानसभा के बाहर राज्य, समाज और घर में महिलाओं की स्थिति क्या होगी? शर्मा ने आरोप लगाया कि महिलाओं के प्रति वर्तमान सरकार की लचर नीति के कारण ही आज महिलाओं के खिलाफ हिंसा आम बात हो गयी है। सरकार महिलाओं के कल्याण को लेकर कितनी चिंतित है, यह हम इसी से जान सकते हैं कि इतने छोटे से राज्य में पिछले दो-तीन महीनों में अपने पतियों के हाथों मरने वाली महिलाओं की संख्या चार से पांच तक पहुंच गई है। भले ही महिलाएं आए दिन बलात्कार, यौन शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराधों का शिकार होती हैं, लेकिन इसका मुख्य कारण नीति-निर्धारक पदों पर महिलाओं की नगण्य संख्या है।
सीएपी नेता के अनुसार, जो महिला लोगों का विश्वास जीतने के बाद भी अपने अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाती हैं, उन्होंने सभी महिलाओं के संघर्ष में एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। स्थिति यह है कि महिला अधिकारों के लिए कई लोगों द्वारा जीवन बलिदान करने के बावजूद वर्तमान सरकार ने इसे मजाक बना दिया है। इसकी सिटीजन एक्शन पार्टी-सिक्किम कड़ी निंदा करती है।
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