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एसकेएम ने जनता के राज को पूंजीवादी शासन में बदला : कृष्‍ण खरेल

गंगटोक । हिमालयी राज्य सिक्किम में 25 वर्षों तक शासन करने वाली सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) ने आज अपने लंबे ‘जनता राज’ की मौजूदा एसकेएम सरकार के करीब पांच वर्षों के कथित ‘पूंजीपति राज’ की तुलना करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा इतने कम समय में ही हमारे समूचे कार्यकाल अवधि से अधिक बजट राशि खर्च करने के बावजूद आज राज्य बदहाली की स्थिति में है। गौरतलब है कि 12 दिसम्बर 1994 को ही सिक्किम में पहली बार पवन चामलिंग के नेतृत्व में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी की सरकार बनी थी।

एसडीएफ नेता कृष्ण खरेल ने विज्ञप्ति में कहा कि 12 दिसम्बर 1994 के ऐतिहासिक दिन से पहले सिक्किम गरीबी, अभाव और कई उत्पीडऩ से त्रस्त था और जनता के लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिये गये थे। भारतीय गणराज्य में शामिल होने के बावजूद सिक्किम एक गुमनाम राज्य ही था और यहां अशिक्षा, असमानता, जाति व लिंग भेदभाव आदि प्रथाएं व्याप्त थी। राज्य अत्यंत पिछड़ा हुआ था और यहां के लोग बिजली, पानी, सडक़, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं से वंचित थे। वहीं, राजा के शासनकाल में निर्मित कुछ लघु उद्योगों को छोडक़र राज्य में कोई अन्य उद्योग, कारखाने नहीं थे। रोजगार का एकमात्र विकल्प सरकारी नौकरी ही थी। लेकिन अधिकांश गरीब सिक्किमवासी निरक्षर थे क्योंकि वे महंगी शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। इसलिए राज्य में अधिकांश सरकारी नौकरियों का फायदा बाहर से आये पढ़े-लिखे लोग उठा रहे थे।

खरेल ने कहा, ऐसे जर्जर और भयानक समय में एसडीएफ नेता पवन चामलिंग ने ‘जनता के राज में, जनता का ही राजा’ के नारे के साथ जन अधिकारों की क्रांति को आगे बढ़ाया। जनता ने इस क्रांति सिर-आंखों में पर बिठाया और लगातार 25 वर्षों तक एसडीएफ की सरकार कायम रखी। लेकिन, इस लंबे शासन काल में अनेक भ्रष्ट, जनविरोधी एवं स्वार्थी तत्व सरकार में प्रवेश कर गये और उन्होंने जनता के शासन को अपना शासन बना लिया। इन तत्वों के कारण ही जनता में असंतोष बढ़ने के साथ सरकार विरोधी लहर उठ रही थी और अंतत: 2019 में जनप्रियता के बावजूद काफी कम वोटों के अंतर से एसडीएफ को सरकार गंवानी पड़ी।

एसडीएफ नेता ने आगे कहा कि 2019 के बाद तथाकथित परिवर्तन के नाम पर सत्ता में आई एसकेएम सरकार ने जनता का शासन छीनकर सिक्किम को पूंजीवादी शासन में बदल दिया है। लोकतंत्र फिर बंधक है, कानून का राज खत्म हो गया है और पुलिस को सरकार की कठपुतली में तब्दील कर दिया गया है। इतना ही नहीं, सिक्किम की धन-संपदा, जमीन, अधिकार, पहचान, मालिकाना हक सब पूंजीपतियों ने बंधक बना लिया है। सिक्किमवासी मताधिकार से वंचित हो गये हैं और बाहरी लोग यहां के असली शासक बने हुए हैं। विकास की गति रुकी पड़ी है और राजस्व का रिसाव, सरकारी धन का दुरुपयोग, अनियोजित व्यय नीतियां, बढ़ती बेरोजगारी, व्यापक भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताएं आदि ने राज्य को पंगु बना दिया है। ऐसे में अब फिर लोग जनता राज को याद कर रहे हैं और उन्होंने फिर से जनता का शासन कायम रखने का फैसला ले लिया है।

खरेल के अनुसार, इस कथित परिवर्तन की सरकार के पांच वर्षों की तुलना 25 साल से नहीं की जा सकती और न ही की जानी चाहिए। तुलना समयावधि के संदर्भ में नहीं, बल्कि शेष राशि के संदर्भ में की जानी चाहिए। इसे विकास की गति और बुनियादी ढांचे के निर्माण के संदर्भ में सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, एसकेएम सरकार पहले ही जनता राज की एसडीएफ सरकार से दोगुना पैसा खर्च कर चुकी है। करीब पांच वर्षों के कार्यकाल में ही इस सरकार ने 53 हजार करोड़ का बजट, 14 हजार करोड़ का कर्ज और 10 हजार करोड़ का कोरोना राहत पैकेज समेत कुल 77 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जो कि समयावधि के रूप में गणना करने पर 50 वर्ष से अधिक है। वहीं, एसडीएफ के 25 वर्षों के जनता राज में 61 हजार करोड़ का बजट, 1000 करोड़ का भूकंप राहत और 6000 करोड़ के कर्ज से सिक्किम की तस्वीर बदली है।

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