गंगटोक । साहित्य अकादमी की नेपाली भाषा परामर्श समिति के समन्वयक शंकरदेव ढकाल ने कहा है कि सिक्किम विश्वविद्यालय नेपाली भाषा को अव्यवस्थित बना रहा है।
शनिवार को नेपाली साहित्य परिषद भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में विशेष अतिथि रहे ढकाल ने सिक्किम विश्वविद्यालय के नेपाली विभाग द्वारा निर्धारित नेपाली भाषा के मानदंडों पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी किसी भी हालत में पंचमवर्ण विरोधी लेखनशैली को स्वीकार नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि अकादमी इस प्रकार के कार्यों का बहिष्कार करेगी। हम लेखकों, लेखिकाओं की लिखी किताबों को पढ़ाना उनका काम है। भाषा बनाना और थोपने का काम उनका नहीं है। ढकाल ने यह भी दावा किया कि भाषा प्रेमी संबंधित निकाय में एक आरटीआई दायर कर रहे हैं, जिसमें सवाल किया गया है कि सिक्किम विश्वविद्यालय को भाषा में विचलन लाने का अधिकार किसने दिया।
उन्होंने कहा कि भाषा में विचलन पैदा करने वाले लोग सोशल मीडिया पर भ्रामक बयान जारी कर भाषा को लेकर और भ्रम पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिक्किम के कॉलेजों तक ‘तलथोप्ली‘ का उपयोग करने वाले छात्रों के सिक्किम विश्वविद्यालय में पहुंचने के बाद उनके अंक कम करने का निर्णय निंदनीय है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष साहित्यकार सीपी भट्टाराई ने कहा कि अगर मरने के बाद भी जीना है तो साहित्य लिखना चाहिएत्। किनार प्रकाशन द्वारा हाल ही में प्रकाशित बड़ी शोध पुस्तक के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि हालांकि मुझे सीधे पुस्तक का अध्ययन करने का मौका नहीं मिला है, लेकिन पुस्तक के बारे में की गई टिप्पणियों में कहा गया है कि यह पुस्तक नेपाली लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि टीबी चंद्र सुब्बा ने अठारह वर्ष बिताकर जाति पर जो काम किया है, वह सराहनीय है। इस अवसर पर किन्नर प्रकाशन ने मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तमांग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भट्टराई को एक ताम्रपत्र सौंपा। कार्यक्रम में किन्नर प्रकाशन के सहयोगी लेखकों को भी सम्मानित किया गया। लेखक टीबी चंद्र सुब्बा ने कार्यक्रम में उनके काम के प्रकाशन और विमोचन में सहयोग करने वाले सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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