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ट्यूलिप से गुलजार हुआ सिक्किम राजभवन

गंगटोक । सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के नेतृत्व में की गई एक पहल ‘हाम्रो संकल्प, विकसित भारत, पुष्पित सिक्किम’ के तहत राजभवन परिसर मनमोहक ट्यूलिप फूलों से गुलजार हो उठा है।

राजभवन परिसर में ट्यूलिप फूलों के खिलने पर राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि ट्यूलिप न केवल सौंदर्य का प्रतीक है बल्कि सिक्किम के लोगों की अपनी, संकल्पों को साकार करने की इच्छाशक्ति का प्रतिनिधित्व भी करता है।

सिक्किम राजभवन में ट्यूलिप फूलों का खिलना बहुत ही रोचक है। ट्यूलिप के फूल आम तौर पर जम्मू कश्मीर में ही देखे जाते हैं। मगर अब इसे सिक्किम में खिलते देख सभी के चेहरे खिल उठे हैं।

‘हाम्रो संकल्प, विकसित भारत, पुष्पित सिक्किम’ पहल के तहत यह सोच बनी कि क्यों न राजभवन में ट्यूलिप लगाए जाएं? राज्यपाल के इन विचारों से प्रेरित हो कर राजभवन परिवार ने यह संकल्प लिया कि इस बार हमारे राजभवन में भी ट्यूलिप खिलेंगे। इस संकल्प को सिद्धि में परिणत करने के लिए इस पर काफी शोध किए गए। मिट्टी की जांच, वातावरण की अनुकूलता, फूल के बीज के आकार, अनुकूल समय, स्थान, जलवायु, तापमान, उगाने की तकनीक, आदि सभी जांच के उपरांत यह निर्णय लिया गया कि राजभवन में ट्यूलिप खिलाए जाएंगे।

राजभवन में ट्यूलिपा एस्केप (गहरा लाल), ट्यूलिपा पिंक ऑडोर (बेबी पिंक), ट्यूलिपा रॉयल वर्जिन (सफेद), ट्यूलिप नोवी सन (पीला) एवं ट्यूलिप ट्रिपल–रेड (नारंगी पीला) लगे हैं जो मूल नीदरलैंड के हैं। सबसे, पहले इन सब प्रकार के ट्यूलिप का चयन किया गया। ट्यूलिप को उगाने की सबसे बड़ी चुनौती, सही समय में सही प्रस्फुटन (ब्लूमिंग) और प्राकृतिक वातावरण को देखते हुए सही प्रकार से बुवाई और ट्यूलिप के प्रकारों की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर उसी अनुरूप उसकी देखरेख करना थी। इसके लिए विशेषज्ञों की सलाह ली गई।

सबसे पहले दिल्ली से ट्यूलिप बल्ब मंगवाए गए, उसके बाद मिट्टी तैयार की गई। अब जरूरत थी कि बल्ब को सही तरीके से कैसे लगाया जाए। बल्ब को कितनी गहराई तक लगाया जाए, कहां लगाया जाए ताकि 6-8 घंटे की धूप लगातार इस पर पड़ती रहे। इन सारे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसके लिए विशेषज्ञों के सहयोग से मालियों ने इन्हें क्यारियों में लगाया। उसके बाद रोजाना इसका निरीक्षण किया जाता रहा। समय-समय पर पानी डाला गया। बीच-बीच में उगी घास को निकाला गया। जब पहला ट्यूलिप अंकुरित हुआ तो वह आश की एक किरण थी। जिस समय यह काम चल रहा था उस समय यह कह पाना मुश्किल था कि यह मिशन कामयाब होगा या नहीं, फिर, ठीक 45 दिनों में इनका खिलना आरंभ हुआ।

आज ट्यूलिप राजभवन की सुंदरता और आभा को बढ़ा रहा है। इसके साथ ही यह संदेश भी दे रहा है कि यदि प्रतिबद्धता के साथ संकल्पित भाव से कोई भी कार्य किया जाए तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है।

#anugamini #sikkim

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