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सिक्किम आपदा : मुख्‍य सचिव वीबी पाठक की अध्‍यक्षता में बैंकर्स समिति की बैठक संपन्‍न

  • 10 लाख तक के ऋण पर प्रति वर्ष 4 प्रतिशत से अधिक ब्याज नहीं लेंगे बैंक

गंगटोक, 19 अक्टूबर । राज्य मंत्रिमंडल के निर्देशानुसार सिक्किम आपदा में प्रभावित आमलोगों एवं मौजूदा ऋणधारकों के लिए बैंकों द्वारा राहत उपाय शुरू करने हेतु राज्य के मुख्य सचिव वीबी पाठक की अध्यक्षता में बुधवार को ताशीलिंग सचिवालय में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की एक विशेष बैठक आयोजित की गई। बैठक में बीमा नियामक इरडा के सदस्य थॉमस देवसिया के साथ आरबीआई सिक्किम के क्षेत्रीय निदेशक किशोर परियार, जीएम व एसएलबीसी संयोजक एनके सिंह, विभिन्न राज्य सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, नाबार्ड अधिकारी और विभिन्न बैंकों के क्षेत्रीय प्रमुख शामिल थे। बैठक में राज्य में आई अचानक बाढ़ से मची तबाही से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के साथ ही आपदा प्रभावित लोगों के हित में कई निर्णय लिए गए।

बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार, चार प्रभावित जिलों-मंगन, गंगटोक, पाकिम और नामची को आरबीआई दिशानिर्देश के अनुसार, मौजूदा ऋणों के पुनर्गठन, नए ऋणों की मंजूरी, केवाईसी में छूट आदि के उद्देश्य से प्रभावित जिलों में रखा जाएगा। राज्य सरकारी रिपोर्ट के अनुसार आपदा में क्षतिग्रस्त खड़ी फसलों के लिए समिति ने उच्च स्लैब राहत उपायों का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की है। ऐसे में जिला कलेक्टरों द्वारा पहचाने गए आवेदक को बैंक प्रमाणपत्र के आधार पर राहत प्रदान करेंगे। इसके लिए समिति ने 23 अक्टूबर से 3 महीने तक की अवधि तक आवेदन स्वीकार करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही समिति ने यह भी निर्णय लिया है कि बैंक 24 महीने की अवधि के लिए 10 लाख तक के ऋण पर प्रति वर्ष 4 प्रतिशत से अधिक ब्याज नहीं लेंगे। बैंक अपने विवेक से ऋण पर यह रियायत प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा 24 महीने की अवधि के लिए 4 प्रतिशत तक की ब्याज छूट प्रदान की जाएगी। वहीं, बैंकों द्वारा वर्तमान देय राशि में चूक के संबंध में कोई दंडात्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा और ब्याज शुल्कों की चक्रवृद्धि को भी स्थगित कर देंगे। यह निर्णय लिया गया कि सभी प्रकार के ऋणों पर एक वर्ष की मोहलत के साथ इन्हें चुकाने की अवधि भी एक वर्ष बढ़ा दी जाएगी।

इसके अलावा, बीमा के संबंध में यह निर्णय लिया गया कि इसकी नियामक संस्था इरडा बीमा कंपनियों को प्रभावितों की बीमा आय में तेजी लाने और अधिकतम 3 सप्ताह की अवधि के भीतर मुआवजे का निपटान करने का निर्देश देगा। इसके अलावा, बीमा दावों के शीघ्र निपटान हेतु बीमा कंपनियां राज्य में हुई क्षति के आकलन करने के लिए तुरंत एक टीम तैनात करेंगी। इस संबंध में अध्यक्ष ने बाढ़ प्रभावित लोगों के पास बीमा दावों से संबंधित मूल दस्तावेज नहीं होने को लेकर इरडा से बीमा कंपनियों को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया कि वे मूल दस्तावेज जमा करने पर जोर न देकर ग्राहकों की वास्तविकता स्थापित करन एवं बीमा दावों के वितरण में तेजी लाने हेतु वैकल्पिक तरीका तलाश करें।

इस दौरान, अध्यक्ष ने बैंकों से अपने कर्तव्य से आगे बढक़र आम जनता तक राहत उपाय पहुंचाने का आग्रह करते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए किसी भी असाधारण प्रयास का दस्तावेजीकरण उसे सफलता की कहानी के रूप में आरबीआई को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने राहत प्रयासों के लिए एसबीआई द्वारा दिए गए दो करोड़ के योगदान की सराहना करते हुए बैंकों से अपनी सीएसआर के तहत सरकारी राहत कोष में स्वेच्छा से योगदान देने की अपील की।

जानकारी के अनुसार, बैठक में समिति ने राहत उपाय लागू करने हेतु विभिन्न तौर-तरीकों पर व्यापक विचार-विमर्श कर उपस्थित बैंकों द्वारा कई कार्रवाईयों पर सहमति व्यक्त की। इनमें डेटा प्रस्तुत करने की अवधि के संबंध में बैंकों द्वारा मुख्य सचिव कार्यालय के लिए साप्ताहिक आधार पर लाभार्थियों की सूची प्रस्तुत करने, ऋणों के पुनर्निर्धारण एवं पुनर्गठन, एक वर्ष की स्थगन और पुनर्भुगतान अवधि बढ़ाने, नए ऋणों की मंजूरी, बीमा सहायता, आम उपभोग के लिए ऋण देने, नए ऋण के मामले में गारंटी, सुरक्षा एवं मार्जिन में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने, रियायती ब्याज दर अपनाने, पूरी तरह एवं आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के निर्माण एवं मरम्मत हेतु ऋण को प्राथमिकता देने, केवाईसी मानदंडों को आसान बनाने समेत कई अन्य निर्णय शामिल रहे।

इस पर अध्यक्ष ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में बैंकों द्वारा प्रदान की गई राहत की स्थिति और प्रगति की निगरानी हेतु एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता आरबीआई सिक्किम के क्षेत्रीय निदेशक द्वारा की जाएगी। इसके सदस्यों में कृषि, पशुपालन, भूमि राजस्व, राज्य वित्त विभाग, राज्य ग्रामीण विकास विभाग, सभी प्रभावित जिलों के जिला कलेक्टर, बीएसएनएल, इरडा, एमएसएमई-डीएफओ समेत सभी बैंकों के जोनल अधिकारी शामिल होंगे।
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