गंगटोक, 24 सितम्बर । नारी शक्ति वंदन बिल के पारित होने पर राज्य की विपक्षी पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुये बिल का स्वागत किया है।
इस संबंध में एसडीएफ की उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक मनीता प्रधान ने कहा है कि इस अधिनियम से भारत की महिलाओं ने एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। विदित हो कि महिला आरक्षण विधेयक -संविधान का 128वां संशोधन विधेयक है जो 19 सितंबर 2023 को लोकसभा में पेश किया गया था। इसे लोकसभा में विधेयक के पक्ष में 454 और विपक्ष में 2 वोटों के साथ जोरदार समर्थन मिला था। वहीं 21 सितंबर 2023 को राज्यसभा ने विधेयक के पक्ष में 214 मतों के साथ सर्वसम्मति से समर्थन किया।
पूर्व विधायक श्रीमती प्रधान ने एसडीएफ पार्टी की ओर से ऐतिहासिक विधेयक का स्वागत किया, जो लंबे समय से लंबित था। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्रीय विधायी निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण के दशकों पुराने मुद्दे को समाप्त कर दिया है। विधेयक का जोरदार समर्थन राष्ट्र के सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भूमिका की स्वीकार्यता और अनुमोदन में बदलाव का संकेत देता है। एसडीएफ पार्टी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध और निवेशित पार्टी है। अतीत में राजनीतिक क्षेत्र, समाज और कार्यस्थल में महिलाओं की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं और नीतियों को लागू किया है। एसडीएफ पार्टी ने सिक्किम उत्तराधिकार अधिनियम 2008, स्थानीय स्वशासन में आरक्षण और महिलाओं के लिए सिक्किम राज्य आयोग की स्थापना जैसी नीतियों के साथ अपने स्रोत से ही समाज की पितृसत्तात्मक संरचनाओं को चुनौती देने के लिए नीतियों को लागू किया है।
उन्होंने कहा कि एसडीएफ पार्टी ने पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) स्तर पर महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ नौकरियों और शिक्षा में 33 प्रतिशत आरक्षण लागू किया। महिला आरक्षण विधेयक के माध्यम से केंद्रीय विधायी निकायों और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण उस कार्य की तार्किक निरंतरता है, जिसके लिए एसडीएफ पहले से ही प्रतिबद्ध है। इसलिए एसडीएफ पार्टी दोनों सदनों में इस बिल के पारित होने का तहे दिल से स्वागत करती है।
एसडीएफ पार्टी के राज्यसभा सांसद श्री हिशे लाचुंग्पा ने भी सिक्किम के लोगों की ओर से विधेयक के लिए संसद में अपना समर्थन दिया। उन्होंने लिंबू और तमांग (एलटी) सीट के आरक्षण का मुद्दा भी उठाया, जो लंबित है। उन्होंने केंद्र सरकार से एलटी समुदायों के लिए भी आरक्षण सुनिश्चित करने का आग्रह किया। हालांकि, विधेयक को 2026 की परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही लागू किया जाना है। कानून के लागू होने की प्रतीक्षा के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना अभी भी एक ऐतिहासिक जीत है। देश के सर्वोच्च नीति निर्माण निकायों में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व की दशकों पुरानी मांग का निष्कर्ष है।
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