गंगटोक । सिक्किम सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने पश्चिम सिक्किम स्थित ईस्ट राथोंग ग्लेशियर में जीएलओएफ के खतरे का आकलन शुरू किया है। विभाग के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की एक विशिष्ट टीम के नेतृत्व में विगत 22 जून को शुरू हुए दो सप्ताह के इस वैज्ञानिक अभियान का उद्देश्य ग्लेशियर की गतिशीलता और हिमालयी क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में और अधिक समझ हासिल करना है। इसके लिए यह विशेषज्ञ टीम सही और सटीक सूचना संग्रह सुनिश्चित करने हेतु अत्याधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकियों से लैस है।
विभाग के अनुसार, समुद्र तल से 4800-6700 फीट की ऊंचाई पर कंचनजंगा नेशनल पार्क में गेजिंग जिले में स्थित ईस्ट राथोंग ग्लेशियर एक घाटी में स्थित है जिसकी औसत चौड़ाई लगभग 800 मीटर है। इसका मुख्य ग्लेशियर 4.8 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला है और इसकी लंबाई 7 किमी. है। वहीं, इस ग्लेशियर का कुल जलग्रहण क्षेत्र 19.8 वर्ग किमी. है। 2012 से ही राज्य का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग इस ग्लेशियर की निगरानी कर रही है। विभाग के वैज्ञानिक और शोधकर्ता तब से हर साल दो बार व्यापक क्षेत्र अनुसंधान कर रहे हैं जिसका प्रमुख उद्देश्य सिक्किम में ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़ के खतरे को कम करना है। इसके लिए, हिमालयी ईको सिस्टम को बनाए रखने के राष्ट्रीय मिशन के तहत स्थापित सिक्किम राज्य जलवायु परिवर्तन सेल बनाया गया है। इस संदर्भ में, सिक्किम में ऐसे 19 संवेदनशील एवं जोखमपूर्ण ग्लेशियल झीलों की पहचान की गई है। इस अभियान में तीन ऐसी झीलों का वैज्ञानिक अध्ययन भी शामिल है जिनमें ईस्ट राथोंग झील, भाले पोखरी और टिकिप ला झील शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 3-4 अक्टूबर को उत्तर सिक्किम में ग्लेशियल झील फटने से आई बाढ़ ने इस प्रकार के व्यापक ग्लेशियर और ग्लेशियल झील अध्ययन की तत्काल आवश्यकता को उजागर किया है। इसके निष्कर्ष न केवल वैज्ञानिकों की जानकारी को समृद्ध करेंगे बल्कि क्षेत्र में जलवायु अनुकूलन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए नीतियों और रणनीतियों का मार्गदर्शन भी करेंगे। सिक्किम सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ संदीप तांबे ने कहा कि उनका विभाग जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु प्रतिबद्ध है। ऐसे में यह अभियान राज्य में ग्लेशियर गतिशीलता में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को संबोधित करने के लिए उनके समर्पण को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरे स्पष्ट हैं और भविष्य में और भी अधिक खतरे सामने आने की संभावना है। सिक्किम सरकार के ‘सुनहरे सिक्किम, समृद्ध सिक्किम’ के सपने को पूरा करने के लिए इस तरह के सक्रिय वैज्ञानिक अभियानों की आवश्यकता है।
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